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लखनऊ

यूपी में हाथ से मैला ढोने वालों की संख्या जानकर चौक जाएंगे, शर्मनाक

– अकेले यूपी का आंकड़ा 37 हजार पार- 7378 संख्या के साथ दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र

लखनऊFeb 13, 2021 / 05:45 pm

Mahendra Pratap

यूपी में हाथ से मैला ढोने वालों की संख्या जानकर चौक जाएंगे, शर्मनाक

यूपी में हाथ से मैला ढोने वालों की संख्या जानकर चौक जाएंगे, शर्मनाक

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. देश को आजाद हुए सात दशक बीत गए, पर उत्तर प्रदेश में आज भी 37 हजार लोग हाथ से मैला ढोते हैं। इस आंकड़े के साथ उत्तर प्रदेश देश में नम्बर वन पोेजिशन पर है। और अगर पूरे देश की बात करते हैं तो करीब 66 हजार लोग मैला ढोने को मजबूर हैं। यह विकासशील से विकसित होते हुए देश के लिए शर्मनाक है। जिस देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान रचयिता बीआर अम्बेडकर ने इस प्रथा का जमकर विरोध किया था वह आज भी यूपी सहित देश के कई राज्यों में जीवित है। वैसे भी हाथ से मैला ढोने की प्रथा संविधान के अनुच्छेद 15, 21, 38 और 42 के प्रावधानों के खिलाफ है। वैसे पूरे 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है।
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उत्तर प्रदेश में हाथ से मैला ढोने वाले 37,379 :- केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने एक सवाल के जवाब में बुधवार को राज्यसभा में इसका खुलासा करते हुए बताया कि, देश में हाथ से मैला ढोने वाले 66,692 लोगों की पहचान कर ली गई है। इनमें उत्तर प्रदेश राज्य 37,379 मैला ढोने वाले लोग के साथ पहले स्थान पर है। अठावले के आंकड़ों के अनुसार हाथ से मैला ढोने के मामले में महाराष्ट्र 7378 लोगों की पहचान के साथ दूसरे स्थान पर है। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में 4295 लोग हैं।
340 लोगों की जान गई :- पिछले पांच साल में नालों और टैंकों की सफाई के दौरान हुई मौतों की जानकारी देते हुए सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा कि इस मामले में 340 लोगों की जान गई है। उनमें से 217 को पूरा मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि 47 को आंशिक रूप से मुआवजा दिया गया है।
पहला कानून 1993 में पारित हुआ :- मैला ढोना (मैनुअल स्केवेंजिंग) की कुप्रथा को खत्म करने के लिए पहला कानून 1993 में पारित हुआ था। उसके बाद एक बार फिर कुछ सुधारों के साथ वर्ष 2013 में दूसरा कानून अधिनियमित किया गया। पहले कानून में सूखे शौचालयों में काम करने को समाप्त किया गया जबकि दूसरे कानून में मैला ढोने की परिभाषा को बढ़ाया गया। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सबसे ज़्यादा पांच लाख 58 हज़ार सूखे शौचालय उत्तर प्रदेश में हैं। साल 2013 के बाद मार्च 2018 में दूसरी बार मैला ढोने वालों की पहचान और उनकी गणना के लिए सर्वे किया गया।
सर्वाधिक शौचालय निर्माण में यूपी प्रथम :- भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया। यूपी सरकार ने इसे हाथों हाथ ले लिया। स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ़) करना तो था ही पर प्रदेश सरकार की मंशा यह भी थी कि हाथ से मैला ढोने की कुप्रथा बंद हो। इसी बीच यूपी के लिए एक बड़ी खुशखबरी है कि, यूपी के दो जिले बरेली व अलीगढ़ को समयान्तर्गत सर्वाधिक शौचालय निर्माण करने पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम व द्वितीय श्रेणी का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश को स्वच्छ, सुन्दर सामुदायिक शौचालय में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
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