लखनऊ में 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास के पास जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए कई अभ्यर्थियों को हिरासत में ले लिया। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में देरी और अनियमितताओं को लेकर अभ्यर्थी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, और इस बार उनका विरोध डिप्टी सीएम के आवास के करीब पहुंच गया, जिससे प्रशासन की चिंता बढ़ गई।
प्रदर्शनकारियों की मांग: शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी इस प्रदर्शन के माध्यम से अपनी नियुक्तियों में तेजी लाने और प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रहे थे। उनका कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में देरी से उनकी भविष्य की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं, और वे अब सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपेक्षा कर रहे हैं।
पुलिस की कार्रवाई: प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और कुछ को हिरासत में लिया गया। पुलिस के अनुसार, यह कार्रवाई कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई थी। हालांकि, अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार मिलना चाहिए। इस प्रदर्शन के बाद से लखनऊ में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, और अभ्यर्थियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।
नियुक्तियों में तेजी लाना 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि वे अपनी नौकरी प्राप्त कर सकें। उनका आरोप है कि प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो रही है, जिससे उनकी आजीविका और करियर प्रभावित हो रहा है।
भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता
अभ्यर्थी यह भी मांग कर रहे हैं कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, ताकि किसी भी तरह की अनियमितता या भेदभाव की संभावना न रहे। वे चाहते हैं कि चयन प्रक्रिया स्पष्ट हो और किसी भी प्रकार की धांधली न हो।
कई अभ्यर्थियों का कहना है कि उनकी नामांकन सूची में गड़बड़ी की गई है। वे मांग कर रहे हैं कि इस सूची को फिर से जांचा जाए और सही तरीके से योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाए।
न्याय और सम्मान: अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें न्याय और सम्मान के साथ नौकरी पाने का अधिकार मिलना चाहिए। सरकारी आश्वासन: प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से ले और लिखित में यह आश्वासन दे कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाएगा।
अभ्यर्थी इस मुद्दे पर सरकार से तुरंत हस्तक्षेप और ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो सके और वे अपने करियर की दिशा में आगे बढ़ सकें।
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