कांशीराम जयंती पर मायावती का ऐलान, पंचायत चुनाव और यूपी विधानसभा चुनाव 2022 अपने दम पर लड़ेगी बसपा यूपी शासनादेश को चुनौती :- यूपी ग्राम पंचायत चुनाव 2021 के आरक्षण पर अजय कुमार ने लखनऊ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने आरक्षण की फाइनल सूची जारी करने पर रोक लगा दी। और आरक्षण प्रक्रिया पर सरकार और राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा। आरक्षण को लेकर दायर याचिका में 11 फरवरी 2021 के यूपी शासनादेश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किए जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है।
मामला यह है :- याची अजय कुमार ने अपनी याचिका में कहाकि, आरक्षण लागू करने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए। 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू करने की बात कही गई। उक्त शासनादेश में ही कहाकि, वर्ष 2001 व 2011 जनगणना में काफी डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है। लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा। 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।