Opinion रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग है समय की मांग
Opinion- रबी फसल की बुवाई के लिए किसान परेशान है। यूपी में खाद नहीं मिल रही है। चिंता में दो किसानों ने आत्महत्या कर ली। पर किसानों को चाहिए अब रासायनिक खाद पर निर्भरता छोड़ दें। कम खर्च में किसान इसकी मदद से स्वयं खाद बना सकते हैं। फिर आपकी भूमि भी तो हमेशा स्वस्थ रहेगी।
Opinion रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग है समय की मांग
Opinion 28.10.2021 यूपी में किसानों को खाद आसानी से सुलभ हो जाए इसके लिए योगी सरकार ने सभी खाद बिक्री केंद्रों को आइएफएमएस पोर्टल पर स्टाक अपलोड करने का आदेश दिया है। सरकार की मंशा है कि इससे जहां कालाबाजारी रुकेगी वहीं बिचौलियों पर भी अंकुश लगेगा। और एक पारदर्शी व्यवस्था बनेगी। किसानों को खाद आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। पर किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। रबी की फसल के लिए खेत तैयार हैं। अभी हुई बारिश ने खेतों को नम कर दिया। सिंचाई का खर्चा बच गया इस खुशी में किसान जल्द से जल्द अपनी फसल बो देना चाहते हैं। पर खाद केंद्र के बाहर बैठ सिर्फ इंतजार करना, किसानों को बैचेन कर रहा है। दो किसानों की खाद न मिलने की वजह से मौत हो गई। तमाम सरकारी सहूलियत के बाद भी अन्नदाता को खाद नहीं मिल पा रही है, क्यों? अब समय आ गया है कि रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग किया जाए। जैविक अनाज का उत्पादन चोखा होगा और दाम भी।
खाद की जरूरत क्यों होती है? पौधों की पोषक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मिट्टी में खाद या उर्वरक मिलते हैं। प्राकृतिक खाद को जैविक खाद और रासायनिक खाद को उर्वरक कहते हैं। अधिकतर किसान फसल की बुवाई में रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। जैसे डीएपी। डीएपी में उपस्थित फास्फोरस, नाइट्रोजन पौधों को फलने फूलने में टानिक का काम करते हैं। अगर किसान डीएपी नहीं डाल पाता है तो नाइट्रोजन की कमी तो यूरिया के डालने से पूरी हो जाएगी पर फास्फोरस की कमी फल व फूल की प्रक्रिया कम कर देगी। जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। पोटाश से जड़ों का विकास होता है। यूरिया से पौधों को पोषक मिलता है। इसकी कमी से पैदावार न के बराबर होती है। तो इन सबके प्रयोग के बिना रबी की फसल का अच्छा उत्पादन संभव नहीं है। आज 50 किग्रा की खाद की बोरी का दाम 1150 रुपए है।
अब मजबूरी यह है कि खाद आसानी से सुलभ नहीं हो पा रही है। सरकार की तमाम निगरानी के बाद भी किसान खाद के लिए बेबस बना हुआ है। तो क्यों नहीं किसान को जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। प्रोम (फॉस्फोरस रिच आर्गेनिक मैन्योर) तकनीक से जैविक खाद घर पर भी तैयार की जा सकती है। दूसरे वेस्ट डी-कंपोजर, जैविक खेती कर रहे किसानों के लिए जैविक खाद का बेहतर विकल्प है। कम खर्च में किसान इसकी मदद से स्वयं खाद बना सकते हैं। फिर आपकी भूमि भी तो हमेशा स्वस्थ रहेगी। (संकुश्री)
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