मेट्रो कंस्ट्रक्शन के दौरान लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन ने ‘ग्रीन इनिशिएटिव’ के अंतर्गत वनीकरण, ऊर्जा प्रबंधन, खतरनाक वेस्ट का प्रबंधन, वायु प्रदुषण नियंत्रण, ध्वनि और कम्पन नियंत्रण उपाय और रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रयोग किया गया है। इसके साथ मेटो के निर्माण और ध्वस्तीकरण के दौरान निकला मलबा/कचरा निपटाने और रीसाइक्लिंग के लिए भी खास योजनाओं पर काम किया गया है।
मेट्रो द्वारा निर्माण के दौरान 35% पेड़ों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट के डिजाइन में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही 5000 पौधों को मेट्रो के पुलों के नीचे और डिपो में लगाया गया हैं। मेट्रो हर्ब गार्डन भी तैयार कर रहा है जहां मेडिसिनल पौधे लगाए गए हैं। कई जगह पेड़ों को जड़ से मिटटी सहित उठा कर उन्हें दूसरी जगह लगाया गया है। हाल ही में हज़रतगंज से मुंशीपुलाई के बीच लगे 8 पेड़ शिफ्ट किये गए हैं।
इसे के साथ वायु और जल प्रदुषण को रोकने के लिए भी उचित प्रबंध किये गए हैं। बैचिंग प्लांट पर डस्ट कलेक्शन सिस्टम लगाया गया है। इससे हवा में से छोटे छोटे कण पदार्थों को निकलाजाता है। ताकि आस पास की हवा में सुधार कर सांस लेने योग बनाए रखा जा सके। इसी के साथ निर्माण स्थल पर नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैण्डर्ड 2009 के मुताबिक़ हवा में प्रदूषण की मात्रा पर नज़र रखी जाती थी। जिस वक़्त स्थल के आस पास प्रदूषण की मात्रा हवा में ज़्यादा होती है तो कार्य को कुछ देर के लिए रोक दिया जाता है।
मेट्रो द्वारा केवल उन्ही वाहनों का उपयोग किया गया है जो कम प्रदूषण करें। तय मानकों के तहत बीएस 3 और 4 के वाहनों का प्रयोग किया गया है। धूल को उड़ने से रोकने के लिए ट्रीटेड पानी का छिड़काव किया जाता है। जिन कार्यों में बड़ी मशीनों का प्रयोग होता है उन्हें रात में किया जाता है। हर महीने क्षेत्र की आवाज़ की मॉनिटरिंग भी की जाती है।