भजनों की शुरुआत सुल्तानपुर के भजन गायक धर्मेन्द्र पण्डित ने खाटू का तोरण द्वार बैकुण्ठ का द्वारा है. से की। उसके बाद उन्होंने जब ‘‘खाटू न जाऊँ तो दिल घबराता है। भजन सुनाया तो श्याम भक्त पे्रम अग्रवाल, सीमा अग्रवाल, आदित्य, अर्चित, मोहित मित्तल समेत मौजूद सैकड़ों श्याम पे्रमी भक्त झूमझूमकर नाचने लगे। अगले क्रम में भजनों की इस अविरल गंगा को राजधानी लखनऊ की भजन गायिका विभा मिश्रा ने कीर्तन की है रात बाबा आज थानै आणो है। के भजन से की। तेरी बाँकी अदा पे सांवरे दिल दीवाना हो गया। भजन जब सुनाया तो बाबा का दरबार बाबा के जयकारों से गूंज उठा। उसके बाद विभा ने दीनानाथ मेरी बात छानी कोनी तेरे से..जैसे भजनों का गा कर भक्तों को भाव-विभोर कर दिया। अगले क्रम में वो कौन है जिसने हमको दी पहचान है, कोई और नहीं वो खाटू वाला श्याम है’’ गाया तो प्रेम, आदित्य, अर्चित, सीमा अग्रवाल, मोहित ने पुष्प् वर्षा कर माहौल भक्तिमय बना दिया।
मध्यरात्रि में बाबा को छप्पन भोग लगाया गया। कान्हा खा ले रे जरा छप्पन भोग सजा, बाबा मानूंगा मैं बड़ा एहसान तेरा कान्हा खा ले रे जरा छप्पन भोग सजा जैसे भजनों की बारिश के बीच में श्याम प्रभु को घर में तैयार किये गये विशेष प्रकार के छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया जिसे आरती होने के बाद भक्तों में बांटा गया। उत्सव का समापन फूलों की होली के साथ हुआ।