कन्नौज से पटना के बीच 13 जगहों से लिए सैंपल :- गंगा का पानी कोरोना वायरस से प्रदूषित हुआ है या नहीं इस जानकारी के लिए लखनऊ स्थित भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने कन्नौज से पटना के बीच 13 जगहों से सैंपल इकट्ठा किये हैं। आईआईटीआर के निदेशक सरोज बारिक (Saroj Batik) बताते हैं कि, शोध में पानी में मौजूद आरएनए वायरस को निकाला जाएगा और आरटीपीसीआर जांच की जाएगी।
कई चरणों में होगा अध्ययन :- आईआईटीआर लखनऊ स्थित भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) निदेशक सरोज बारिक ने कहा कि कई चरणों में अध्ययन किया जा रहा है। आईआईटीआर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अधीन एक संस्थान है। इस अध्ययन के तहत नदी की जैविक विशेषताओं की जांच भी की जाएगी।
नमूने एकत्र करने का काम शुरू :- अगले फेज के लिए नमूने एकत्र करने का काम आठ जून से शूरू हो गया है। मई के महीने में जिस तरह से कन्नौज से लेकर गाजीपुर तक गंगा में शवों को फेंकने के मामले मिले तो राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga) यानी एनएमसीजी ने इस मामले पर अध्ययन कराने का फैसला किया था।
हालात पर नजर :- मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले में गंभीर जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ( Union Jal Shakti Minister Gajendra Singh Shekhawat ) ने कहा था कि, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों में गंगा नदी में शव फेंकने की रिपोर्ट के बाद नदी के जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए हालात पर नजर रखी जा रही है। मौजूदा प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं और नियमित अध्ययन कर रहे है।
मुलायम सिंह यादव ने लगवाई कोरोना वैक्सीन, भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह-केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश पर निशाना साधा वायरस जीवित नहीं रहता है : एनएमसीजी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के कार्यकारी निदेशक डीपी माथुरिया ने कहाकि, इन स्थितियों (नदी) में वायरस जीवित नहीं रहता है। हालांकि साक्ष्य-आधारित अध्ययन करने का फैसला किया गया है।