Lucknow Court Decision: प्रॉपर्टी के लालच में बेटे और बहू ने परिवार के 6 सदस्यों की निर्मम हत्या की, 5 साल बाद मिली फांसी की सजा
Lucknow Criminal Justice: लखनऊ में एक हैरान करने वाले पारिवारिक हत्याकांड में आरोपी बेटे अजय सिंह और उसकी पत्नी रूपा सिंह को विशेष न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है।
Lucknow Murder Court Decision: थाना बन्थरा क्षेत्र में अपने माता-पिता सहित परिवार के 6 लोगों की निर्मम हत्या करने के मामले में आरोपित पुत्र अजय सिंह और उसकी पत्नी रूपा सिंह को विशेष न्यायाधीश रोहित सिंह ने मौत की सजा सुनाई है। यह घटना उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के थाना बन्थरा क्षेत्र की है, जिसमें 30 अप्रैल 2020 को एक परिवार के 6 लोगों की गंडासे से हत्या कर दी गई थी। यह मामला सजा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह पहली बार है जब इस तरह के जघन्य अपराध के लिए किसी को फांसी की सजा दी गई है।
घटना और आरोपी का मनोविज्ञान
इस मामले की शुरुआत 30 अप्रैल 2020 को हुई, जब बन्थरा थाना क्षेत्र के एक घर में अजय सिंह, उसकी पत्नी रूपा सिंह और उनके बेटे अवनीश सिंह ने मिलकर परिवार के 6 लोगों की हत्या कर दी। मृतकों में अजय सिंह के माता-पिता अमर सिंह, माता राम दुलारी, भाई अरुण सिंह, भाभी राम सखी, भतीजा सौरभ और भतीजी सारिका शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, अजय सिंह पिता से रुपयों की मांग करता था और उसे यह डर था कि उसके पिता अपनी संपत्ति छोटे भाई अरुण और उसकी पत्नी को दे देंगे। इस डर और लालच के चलते उसने अपने पूरे परिवार को खत्म कर दिया।
आरोपी अजय सिंह और उसकी पत्नी रूपा सिंह ने मिलकर एक खौफनाक साजिश रची और दिनदहाड़े अपने परिवार के 6 लोगों की हत्या कर दी। आरोपियों ने गंडासे से इनकी हत्या की और इस दौरान रूपा सिंह ने अपने आठ वर्षीय भतीजे को भागने से रोकते हुए उसे डंडे से पीटा। इस घटना के दौरान उन्होंने 3 साल की बच्ची तक को भी नहीं बख्शा और उसकी भी निर्मम हत्या कर दी।
अदालत द्वारा पारित फैसला
इस जघन्य हत्या मामले में विशेष न्यायाधीश रोहित सिंह ने आरोपियों अजय सिंह और उसकी पत्नी रूपा सिंह को दोषी ठहराया। अदालत ने कहा कि यह घटना इतनी घिनौनी और निर्मम है कि इससे समाज में घृणा और भय फैलता है। अदालत ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सजा का संदेश देना जरूरी है। इसलिए, उन्होंने दोनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उच्च न्यायालय द्वारा सजा की पुष्टि होती है, तो ही फांसी की सजा लागू की जाएगी। जिला शासकीय अधिवक्ता एम के सिंह ने अदालत में तर्क प्रस्तुत किया था कि यह हत्या एक सुनियोजित साजिश का परिणाम थी, जिसमें आरोपियों ने अपने परिवार के सभी सदस्य को निर्दयता से मार डाला। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया।
विवेचना और अदालत में सुनवाई
इस मामले की शुरुआत 1 मई 2020 को हुई, जब वादिनी गुड्डी ने थाना बन्थरा में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद, पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू की और 30 जुलाई 2020 तक जांच पूरी की। इस दौरान आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य जुटाए गए। कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद से मामले की सुनवाई शुरू हुई, जो 12 दिसंबर 2024 को समाप्त हुई।
अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार त्रिपाठी और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता एम के सिंह ने प्रमुख गवाहों की गवाही पेश की। इनमें मृतक अमर सिंह की बेटी वादिनी गुड्डी, एसआई रामेश्वर सिंह, डॉ जी पी गुप्ता और अन्य गवाह शामिल थे। कोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी के पास हत्या के लिए इस्तेमाल किए गए गंडासे और अन्य हथियारों के भौतिक प्रमाण भी थे, जो अभियोजन द्वारा पेश किए गए थे।
इस मामले में आरोपितों को दोषी ठहराते हुए अदालत ने सजा सुनाई कि इस प्रकार के जघन्य अपराध के लिए मृत्युदंड आवश्यक है, ताकि समाज में एक कड़ा संदेश जाए और ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। यह फैसला इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इसमें पहली बार किसी को फांसी की सजा दी गई है। अभियोजन पक्ष ने इस सजा के लिए अदालत से आग्रह किया था, क्योंकि इस मामले में आरोपियों ने न केवल अपने परिवार के सदस्यों की हत्या की थी बल्कि बच्चों और बुजुर्गों तक को नहीं बख्शा था। वहीं, आरोपी अवनीश को नाबालिग होने के कारण जुवेनाइल कोर्ट भेज दिया गया है।
घटनाक्रम
घटना: 30 अप्रैल 2020
रिपोर्ट दर्ज: 1 मई 2020
विवेचना प्रारंभ: 1 मई 2020
विवेचना समाप्त: 30 जुलाई 2020
आरोप पत्र दाखिल: 7 जुलाई 2021
आरोपियों पर आरोप: 18 जनवरी 2023
विचारण प्रारंभ: 1 अगस्त 2023
विचारण समाप्त: 10 दिसंबर 2024
निर्णय की तारीख: 16 दिसंबर 2024
सजा का प्रभाव
इस सजा के बाद से उत्तर प्रदेश में हत्या और अपराध की गंभीरता को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अदालत के इस फैसले ने न केवल अपराधियों को सजा दिलवाने में मदद की है, बल्कि समाज में सुरक्षा और न्याय का संदेश भी दिया है। यह फैसला अपराधियों के लिए एक चेतावनी है कि जघन्य अपराधों के लिए कठोरतम सजा दी जाएगी।
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