यूपी में डेल्टा+ की दस्तक हाईअलर्ट, सीएम योगी का पड़ोसी राज्यों से सटे जिलों में जीनोम सिक्वेंसिंग के निर्देश योगी सरकार के इस फैसले को विपक्षी दल राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा यह कदम चुनावी तैयारियोंं के तहत उठा रही है। संगठन और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए ही योगी सरकार भाजपा कार्यकर्ताओं पर दर्ज सभी फर्जी आपराधिक मुकदमें वापस लेगी। सपा और बसपा सरकार में आंदोलन और धरना प्रदर्शन के वक्त राजनीतिक और फर्जी मुकदमें दायर हुए थे। माना जा रहा है कि पार्टी बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को मजबूत करने में जुटी है। ऐसे में पार्टी का मानना है कि अगर बूथ स्तर का कार्यकर्ता नाराज होगा तो पार्टी को मनमुताबिक सफलता हासिल नहीं हो पाएगी।
संगीत सोम, सुरेश राणा के नाम शामिल योगी सरकार द्वारा राज्य में सरकार के बनने के बाद लगभग 5 हजार से अधिक मुकदमे वापस लिए जा चुके हैं। इनमें डिप्टी सीएम और मंत्रियों के खिलाफ भी मुकदमे शामिल हैं। इसके अलावा राज्य सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी कई नेताओं के केस वापस लेने के लिए पिछले साल दिसंबर माह में याचिका दायर की थी। सितंबर 2013 में नगला मंदोर गांव में भड़काऊ भाषण देने का मामला शिखेड़ा थाने में सरधना (मेरठ) से विधायक संगीत सोम, शामली से विधायक सुरेश राणा और मुजफ्फरनगर सदर से विधायक कपिल देव पर दर्ज है। इसमें हिंदूवादी नेता साध्वा प्राची का भी नाम शामिल है।
क्या कहते हैं कानून मंत्री इस संबंध में कानून मंत्री ब्रजेश पाठक का कहना है कि यह सतत प्रक्रिया है। यह सभी मुकदमे राजनीतिक द्वेष की वजह से या आंदोलन के चलते दर्ज हुए थे। उनका परीक्षण कर ऐसे मुकदमे वापस ले रहे हैं और आगे भी ये प्रक्रिया जारी रहेगी। इसके पहले भी यूपी सरकार अपनी पार्टी के नेताओं, मंत्रियों और कार्यकर्ताओं के मुकदमें वापस लेने को लेकर न्याय विभाग से रिपोर्ट मांगी थी।