शत्रु संपति पर पर ही फर्जी ढंग से चढवा लिया अपना नाम
जानकारी के मुताबिक यह संपत्ति इमामुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी, जो विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। तत्पश्चात, इसे वर्ष 2006 में भारत सरकार के कस्टोडियन विभाग के अंतर्गत दर्ज कर लिया गया। जब जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में तमाम सरकारी जमीनों पर कब्जा करने जांच हुई, तो यह प्रकरण सामने आया। जांच में पता चला कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज इस शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के लिए फर्जी तरीके से आफाक अहमद का नाम अंकित कर दिया गया, रिकॉर्ड के पन्ने भी फटे मिले। जिसके बाद वर्ष 2020 में थाना सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज कराया गया
जांच में खुली पोल, तत्कालीन SP सहित कारवाई की जद में
वर्ष 2023 में विवेचक गजेंद्र त्यागी ने लेखपाल के बयान के आधार पर पूर्व मंत्री आजम खां का नाम आरोपियों में शामिल किया। जिसके बाद एसपी अशोक कुमार ने उन्हें हटाकर निरीक्षक श्रीकांत द्विवेदी को विवेचक बना दिया। आरोप है कि नए विवेचक ने मुकदमे में धारा 467, 471 को हटाकर अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया, जिसमें आजम खां का नाम शामिल नहीं था। इसकी शिकायत होने पर शासन ने गोपनीय जांच कराई, जिसमें तत्कालीन एसपी समेत कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिली। जिसके बाद शासन ने अशोक कुमार के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।