बीजेपी ने 2024 के लिए अपना टारगेट यूपी में सभी 80 सीटें जीतने का रखा है। इसके लिए एक-एक विधानसभा क्षेत्र स्तर पर समीकरण सुधारे जा रहे हैं। ताकि जब चुनाव हो तो सब बीजेपी के पक्ष में हो। बीजेपी की नजर इस समय सपा और आरएलडी के उन पिछड़ों और दलित नेताओं पर है। जिनके जरिए दलितों और पिछडों के बीच अपनी पैठ बना सके।
सुभासपा हो या निषाद पार्टी दोनों जाति के मुद्दे उठाकर मजबूत कर रहे अपनी सियासत, लोकसभा चुनाव में होगी अग्निपरीक्षा
सैनी समाज में पैठ बनाना चाहती है बीजेपीपश्चिमी यूपी में सैनी समाज का बड़ा वोट बैंक है। इसी के चलते राज्यसभा के पूर्व सदस्य राजपाल सिंह सैनी को बीजेपी में शामिल कराया गया है। 2022 विधानसभा चुनाव में राज पाल सैनी ने खतौली से रालोद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था।
वाराणसी संसदीय सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2019 लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली शालिनी यादव ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है। शालिनी कांग्रेस के पूर्व सांसद और राज्यसभा में पूर्व उपसभापति रहे श्याम लाल यादव की पुत्रवधू हैं। 2019 में शालिनी यादव ने कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी ज्वाइन की थी। जिस दिन शालिनी ने सपा की सदस्यता ग्रहण की थी, उसी दिन सपा ने उन्हें पीएम मोदी के खिलाफ लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया था। हालांकि, उससे पहले वह कांग्रेस के टिकट पर वाराणसी में मेयर का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। शालिनी भी पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखती हैं।
इसके अलावा आगरा में दक्षिण विधानसभा से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले रवि भारद्वाज और बसपा से खेरागढ़ से चुनाव लड़ने वाले गंगाधर कुशवाहा ने भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले बसपा और सपा के कई नेता बीजेपी में शामिल होंगे। इसके लिए अंदरखाने बातचीत चल रही है।