गांव के विकास का जिम्मा ग्राम प्रधान के पास होता है। सरकार विकास कार्यों के लिए धनराशि भी ग्राम प्रधान के खाते में ही भेजती है। ग्राम प्रधान इस राशि को अपने इस्तेमाल में नहीं ले सकता है। ऐसा करना गैर कानूनी अपराध है। उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ग्राम प्रधानों को प्रतिमाह 3500 रुपए मानदेय देती है। ग्राम सभा के मतदाता ग्राम प्रधान को चुनते हैं।
ग्राम सभा के मतदाता ग्राम पंचायत सदस्यों को चुनते हैं। आबादी के हिसाब से इनकी संख्या तय होती है। सरकार की ओर से इन्हें कोई मानदेय नहीं मिलता है। इनके पास पावर जबरदस्त होती है। ग्राम पंचायत सदस्य मिलकर किसी भी प्रधान को उसके पद से हटा सकते हैं।
क्या क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) को मानदेय मिलता है?
ग्राम पंचायत के लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर बीडीसी यानी क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनते हैं। बीडीसी सदस्य ही ब्लॉक प्रमुख चुनते हैं। राज्य सरकार की ओर से क्षेत्र पंचायत सदस्यों को कोई मानदेय नहीं मिलता है, लेकिन सरकार इन्हें भत्ता देती है। इसमें यात्रा भत्ता भी शामिल होता है। इसके अलावा पंचायत की बैठक में शामिल होने के लिए हर बार 500 रुपये दिए जाते हैं।
मतदाता ही जिला पंचायत सदस्य को चुनते हैं। विजयी सदस्यों में ही एक जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुना जाता है। राज्य सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रतिमाह 14000 रुपए मानदेय देती है, लेकिन जिला पंचायत सदस्यों को कोई मानदेय नहीं मिलता है। हालांकि, इन्हें भत्ते जरूर मिलते हैं। इसके अलावा जिला पंचायत सदस्यों को हर बैठक में शामिल होने के लिए 1000 रुपये का मिलता है।