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स्कूली छात्राओं के सामने गुलाटी मार हीरो बन रहा था युवक, Video वायरल हुई तो पुलिस ने सिखाया ऐसा सबक कोविड में अनाथ हुए बच्चों को मिल सकेगा एडमिशन नए नियम के मुताबिक, कोरोना महामारी के दौरान जो बच्चे अनाथ हो गए थे, या जिनके माता-पिता दोनों कोरोना की वजह से मर गए हैं। सिर्फ ऐसे बच्चों का एडमिशन ही केंद्रीय विद्यालय में जिलाधिकारी की सिफारिश पर हो सकेगा और इन बच्चों से कोई एडमिशन फीस नहीं ली जाएगी। हालांकि स्कूल में ऐसे सिर्फ दस बच्चों के लिए ही जिलाधिकारी सिफारिश कर सकेगा। वहीं क्लास रूम में एक क्लास में अधिकतम 2 बच्चों की सिफारिश हो सकेगी। इसके अलावा भारतीय थलसेना, वायुसेना, नौसेना और कोस्ट गार्ड के प्रत्येक शिक्षा निदेशक, डिफेंस सेक्टर में बने केंद्रीय विद्यालय में हर साल 6-6 बच्चों के नाम की सिफारिश की जा सकेगी।
कर्मचारियों के बच्चों का भी सीधा दाखिला नए नियम में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों के बच्चों का भी इन स्कूलों में बिना एंट्रेंस के एडमिशन हो सकेगा। लेकिन 9वीं क्लास में एडमिशन लेने के लिए टेस्ट देना होगा। जिसमें पास होने के बाद ही उसका दाखिला किया जाएगा। वहीं केंद्रीय विद्यालय संगठन के मुताबिक, जिन केंद्रीय कर्मचारियों की नौकरी के दौरान ही मौत हो गई थी, उनके बच्चों का भी केन्द्रीय विद्यालय में सीधा एडमिशन हो पाएगा।
वीरता पुरस्कार बच्चों का एडमिशन ऐसे भारतीय सैनिक जिन्हें परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, सेना मेडल, नौसेना मेडल या वायुसेना मेडल में से कोई एक पुरस्कार मिला हो उनके बच्चों का केंद्रीय विद्यालय में सीधा एडमिशन होगा। जिन पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति पुलिस मेडल या पुलिस मेडल मिला होगा, उनके बच्चों को भी केंद्रीय विद्यालय में सीधा दाखिला दिया जा सकेगा। खेल मंत्रालय के स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI) की ओर से आयोजित खेलों में या फिर CBSE या राष्ट्रीय खेल या फिर राज्य लेवल के खेलों में जो बच्चे पहला, दूसरा या फिर तीसरा स्थान पाएंगे, उन्हें केंद्रीय विद्यालय में सीधा एडमिशन मिलेगा।
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कमाल का टैलेंट है इन भाईसाहब में, सवा लाख में बना दी देसी फरारी, देखकर आनंद महिंद्रा भी हुए फैन स्काउट-गाइड पुरस्कार पाने वालों को एडमिशन बता दें कि स्काउट एंड गाइड्स श्रेणी में जिन बच्चों को राष्ट्रपति पुरस्कार मिला होगा ऐसे बच्चों को भी केंद्रीय विद्यालय में सीधा एडमिशन मिलेगा। वहीं जिन बच्चों को राष्ट्रीय साहस पुरस्कार या फिर बालश्री पुरस्कार मिला हुआ होगा, उन्हें भी केंद्रीय विद्यालय में सीधा दाखिला दिया जा सकेगा। इसके अलावा जिन बच्चों की आर्ट के क्षेत्र में विशेष प्रतिभा को राष्ट्रीय या राज्य के लेवल पर मान्यता मिली हुई होगी, उन्हें भी इन स्कूलों में बिना एंट्रेंस के दाखिला लेने का मौका मिलेगा।
विदेश मंत्रालय और खुफिया एजेंसी कर्मियों के लिए ऐसे अभिभावक जिनमें में से कोई एक अभिभावक भारतीय विदेश मंत्रालय में नौकरी करता हो और उसकी पोस्टिंग विदेश में रही हो। साथ ही वो इसी साल या एक साल पहले देश वापस लौटा हो, उनके बच्चों को भी एडमिशन देने का प्रावधान है। दरअसल, विदेश मंत्रालय में काम करने वाले व्यक्तियों का केंद्रीय विद्यालय में सालाना एडमिशन कोटा 60 रखा गया है। इसके अलावा खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) में काम करने वालों के बच्चों के लिए स्कूल में एडमिशन कोटा 15 रखा गया है। इनमें से दिल्ली स्थित केंद्रीय विद्यालयों में कुल कोटा सीट 5 और 10 सीटें दिल्ली के बाहर किसी दूसरे केंद्रीय विद्यालय की होंगी।
कश्मीरी पंडितों के लिए ये नियम वहीं केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए निर्वासित कश्मीरी पंडितो के बच्चों को विद्यालय संगठन ने अतिरिक्त छूट दी है। इसके मुताबिक, इल बच्चों के एडमिशन की तारीख 30 दिन तक बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा उन्हें एट्रेंस परीक्षा में SC/ST वर्ग को मिलने वाली छूट भी दी जाएगी।
पहले भी हुई थी सालाना कोटे की सिफारिश सीमा गौरतलब है कि पहले भी केंद्रीय विद्यालय में सालाना कोटे की सिफारिश हो चुकी है। दरअसल, लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सांसद होते हैं जो कि व्यक्तिगत कोटे के तहत सामूहिक रूप से प्रति वर्ष 7,880 छात्रों के प्रवेश की सिफारिश कर सकते हैं। लेकिन आधिकारिक आकड़ों के अनुसार, 2018-19 में सांसदों के कोटे के तहत 8,164 दाखिले हुए। वहीं, 2019-20 और 2020-21 में इस श्रेणी में क्रमश: 9,411 और 12,295 दाखिले हुए तथा 2021-22 में 7,301 दाखिले सिफारिश से हुए थे। इससे पहले, इस कोटे को अतीत में कम से कम दो बार वापस लिया गया था, लेकिन वापस बहाल कर दिया गया। अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बार फिर इस विवेकाधीन कोटे के माध्यम से प्रवेश रोक दिए हैं।