गुजरात में अहमदाबाद के रहने वाले आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में राम मंदिर के निर्माण में आने वाली चुनौतियों, लागत व समय सीमा पर खुलकर बात कही। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में जो पत्थर लगाए जाएंगे वह राजस्थान के भरतपुर से मंगाये जाते हैं जिन्हें सैंडस्टोन यानी बलुआ पत्थर कहा जाता है। ऐसा नहीं कि यह बलुआ पत्थर से ही पूरे मंदिर में लगाए जाएंगे या सिर्फ इन्हीं का इस्तेमाल होगा। उन्होंने बताया कि फर्श मार्बल का होगा। इसी के साथ ही दिवंगत अशोक सिंहल की इच्छा अनुसार प्लिंथ ग्रेनाइट पत्थर का बनाया जाएगा।
चंद्रकांत का कहना है कि काम शुरू होने के बाद राम मंदिर के निर्माण में लगभग ढाई से तीन वर्ष का समय लग जाएगा। इसमें पहले फाउंडेशन का काम होगा, जिसमें 6-8 माह का समय लगेगा। साथ ही सीमेंट व चूने को सेट होने में भी काफी समय लगता है। उसके बाद मंदिर निर्माण में पत्थर लगाये जाएंगे। मंदिर के शेप लेने में छह से आठ महीने लगेंगे।