काम मिलने के बाद माता पिता को बताया मरा हुआ, खुद का बदला नाम शासन के निर्देश पर हुई जांच में पता चला कि चंद्रकांत के पिता संस्था के अध्यक्ष और मां कोषाध्यक्ष थीं। परिवार के लोगों को संस्था में सदस्य बनाया गया था। मिड डे मील का काम मिलने के बाद चंद्रकांत ने अपने माता पिता को मृतक दिखाकर खुद सुनील शर्मा के नाम से कोषाध्यक्ष बन गया। पत्नी बेबी शर्मा को उपाध्यक्ष नामित करवा दिया। जब जांच हुई तो माता-पिता जीवित मिले। घोटाले की रकम में हेराफेरी की भी बात सामने आई। जांच में सामने आया कि 2008 से 2014 तक इस संस्था को मिड डे मील का बजट दिया गया। कुल रकम 1,14,64,8500 थी। इस रकम को पंजाब नेशनल बैंक के खाते में भेजी गई। इसके बाद बैंक की मिलीभगत से इन रुपयों को संस्था के खाते से आगरा के कई बैंकों में सुनील शर्मा के नाम से खोले गए फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर करा दिया गया।
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पुलिस और परिजनों में मारपीट, कई हुए घायल घोटाले में शामिल रहे 6 बैंक और 7 विभाग मामले की जांच करने वाले इंस्पेक्टर अमर सिंह के मुताबिक इस घोटाले में छह बैंक और सात विभाग शामिल हैं। इसमें मिड डे मील समन्वयक, डाकघर आगरा, शिक्षा विभाग, आवास विकास परिषद, नगर निगम फिरोजाबाद, उप निबंधक चिट्स फंड और टोरेंट पावर की भूमिका सामने आई है। वहीं बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक, शिकोहाबाद, आगरा की एक्सिस बैंक, सिंडीकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और कॉरपोरेशन बैंक शामिल हैं।