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अब लखनऊ में भी होगा आधे घुटने का प्रत्यारोपण, आयेगा इतना खर्च

– घुटने की गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिये खुशखबरी- उतना ही घुटना बदला जाएगा जितनी होगी जरूरत- महीन चीर से होगा प्रत्यारोपण

लखनऊJul 05, 2019 / 08:42 am

आकांक्षा सिंह

knee transplant

अब लखनऊ में भी होगा आधे घुटने का प्रत्यारोपण, आयेगा इतना खर्च

लखनऊ. घुटने की गंभीर बीमारी से जुझ रहे मरीजों के लिए खुशखबरी है। अब मरीजों का उतना ही घुटना बदला जाएगा जिनती जरूरत होगी। महीन चीरे से घुटना प्रत्यारोपण संभव होगा। ऑपरेशन के दूसरे दिन मरीज चल-फिर सकेगा। अभी केजीएमयू हड्डी रोग विभाग में पूरा घुटना बदला जा रहा है। विभाग के डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि 30 से 40 प्रतिशत मरीजों को पूरा घुटना खराब नहीं होता है। आधा घुटना ही खराब होता है। मरीज दर्द की शिकायत बताता है। ऐसी दशा में पूरा घटना बदलना पड़ता है। चिकित्सा विज्ञान में इसे टोटल नी रिप्लेसमेंट कहते हैं। उन्होंने बताया कि मरीजों को दुश्वारियों से बचाने के लिए अब जरूरत के हिसाब से आधा घुटना बदल जा सकेगा। हाल ही में आलमबाग निवासी 55 वर्षीय महिला का आधा घुटना प्रत्यारोपित किया गया। उन्होंने बताया कि महिला के दोनों घुटनों में परेशानी थी। दाहिना पैर का पूरा घुटना बदल गया। जबकि बाएं पैर का आधा घुटना बदला गया।

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गठिया की वजह से खराब होते हैं घुटने

डॉ. आशीष ने बताया कि गठिया समेत दूसरे कारणों से घुटने खराब हो जाते हैं। घुटनों के जोड़ के बीच में कॉर्टिलेज होती है। गठिया की वजह से यह नष्ट हो जाती है। घुटने आपस में टकराते हैं। इसकी वजह से मरीज को भीषण दर्द होता है। मरीज को दर्द से निजात दिलाने के लिए प्रत्यारोपण किया जाता है। अब दोनों तरह के घुटने उपलब्ध हैं।

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क्या है नी-रिप्लेसमेंट

घुटनों में अर्थराइटिस होने से कई बार विकलांगता की स्थिति तक आ जाती है। जैसे-जैसे घुटने जवाब देने लगते हैं, चलना-फिरना, उठना-बैठना, यहां तक कि बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में नी-रिप्लेसमेंट एक विकल्प के तौर पर मौजूद है।

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ऑपरेशन की प्रक्रिया

इसमें जांघ वाली हड्डी, जो घुटने के पास जुड़ती है और घुटने को जोड़ने वाली पैर वाली हड्डी, दोनों के कार्टिलेज काट कर उच्चस्तरीय तकनीक से प्लास्टिक फिट किया जाता है। कुछ समय में ही दोनों हड्डियों की ऊपरी परत एकदम चिकनी हो जाती है और मरीज चलना फिरना शुरू कर देता है। साधारणतया मरीज ऑपरेशन के दो दिन में ही सहारे से चलने लगता है। फिर 20-25 दिन में सीढ़ी भी चढ़ना शुरू कर देता है।

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कैसे पता लगाएं

यदि एक्स-रे में आप को घुटना या उसके अंदर के भाग अधिक विकारग्रस्त होते दिख रहे हों या आप घुटनों से लाचार महसूस कर रहे हों जैसे बेपनाह दर्द, उठने बैठने में तकलीफ, चलने में दिक्क्त, घुटने में कड़ापन, सूजन, लाल होना तो आप घुटना प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त हैं। हर वर्श पूरे विश्व में लगभग 65,00,00 लोग अपना घुटना बदलवाते हैं। वैसे, घुटना बदलवाने की उम्र 65 से 70 की उम्र उपयुक्त मानी गई है। लेकिन यह व्यक्तिगत तौर पर भिन्न भी हो सकता है।

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घुटना प्रत्यारोपण क्या होता है?

घुटना प्रत्यारोपण में विकारगग्रस्त कार्टिलेज को निकाल कर वहां पर धातु व प्लास्टिक जैसी चीजों को प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। घुटना प्रत्यारोपण के द्वारा क्षतिग्रस्त भाग को या फिर पूरे घुटने को बदलना संभव है। घुटना प्रत्यारोपण दो प्रकार से किया जाता है। आमतौर पर घुटना प्रत्यारोपण निम्र प्रकार के होते हैं।

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1- यूनीकंपार्टमेंटल

2- पोस्टीरियर क्रूशिएट लिगामेंट रिटेनिंग

3- पोस्टीरियर क्रूशिएट लिगामेंट सब्स्टीट्यूटिंग

4- रोटेटिंग प्लैटफोर्म

5- स्टेबिलाइज्ड

6- हाइंज

7- टोटल नी रिप्लेसमेंट

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टोटल नी रिप्लेसमेंट या फिर यूनीकंपार्टमेंटल नी रिप्लेसमेंट। टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के दौरान पूरे घुटने को बदला जाता है जबकि यूनीकंपार्टमेंटल नी रिप्लेसमेंट के दौरान घुटने के ऊपरी व मध्य भाग बदले जाते हैं। दरअसल, घुटने के प्रत्यारोपण के समय घुटने में एक 4-6 से मी का चीरा लगाया जाता है। फिर विकारग्रस्त भाग को हटाकर उसके स्थान पर ये नए धातु जिन्हें प्रोस्थेसिस के नाम से जाना जाता है, को प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस प्रोस्थेसिस को हड्डियों से सटाकर लगाया जाता है। ये प्रोस्थेसिस कोबाल्ट क्रोम, टाइटेनियम और पोलिथिलीन की मदद से निर्मित किए जाते हैं। फिर घुटने की त्वचा को सिलकर बंद कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को ऐनीस्थिीसिया दिया जाता है। मरीज को अतिरिक्त रक्त चढ़ाने की भी आवश्यकता होती है। ऑपरेशन के बाद मरीज को लगभग 5-7 दिन तक हास्पिटल में रुकना पड़ता है। ऑपरेश न के एक दो दिनों के बाद घुटने पर पानी आदि नहीं पडना चाहिए जब तक कि वह घाव सूख न जाए। सर्जरी के बाद चार से छरू सप्ताह के बाद पीड़ित धीरे-धीरे अपनी नियमित दिनचर्या को अपना सकता है। ऑपरेश न के बाद व्यायाम करने व आयरन से भरपूर भोजन करने से पीड़ित को ठीक होने में मदद मिलती है। आपरेश न के छरू सप्ताह के बाद पीड़ित गाड़ी चलाने में समर्थ हो जाते हैं।

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ऑपरेशन के बाद इन बातों का रखें ध्यान

– बहुत भारी कसरत, जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़ना या फिर भारी वस्तु न उठाएं
– अपने वजन को नियंत्रण में रखें
– घुटनों के बल पर न बैठैं
– बहुत नीची कुर्सी व जमीन पर बैठने को नजरअंदाज करें
– कोई भी नया व्यायाम शुरु करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह लें।
-जागिंग ऐरोबिक्स जैसे व्यायाम को करने से बचें।
– पीड़ित के लिए कौन सा प्रत्यारोपण उपयुक्त है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित की उम्र क्या है, उसके घुटने किस स्तर तक खराब हैं व पीड़ित की दिनचर्या में किस प्रकार के कार्य शामिल हैं व उनका स्तर क्या है? वैसे भी डाक्टर पीड़ित से ये सब जानकर ही उपयुक्त सर्जरी सुझाते हैं। ओस्टयोआर्थराइटिस से जूझ रहे लोगों के लिए यूनीकंपार्टमेंटल घुटना प्रत्यारोपण बेहतर माना जाता है।

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नी रिप्लेसमेंट में लगने वाला कुल खर्च

भारत में नी रिप्लेसमेंट का खर्चा 6,000 डालर है। अमेरिका जैसे विकसित देशो में की अपेक्षा भारत जैसे विकासशील देशों में घुटना प्रत्यारोपण कराने का कुल खर्च लगभग 70 प्रतिशत तक कम होता है। पूरे विश्व इतने कम खर्च में ऐसी सेवा नहीं महैया कराई जाती है।

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