याचिका में राजधानी की हज़रतगंज कोतवाली में उनके खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करने की गुजरिश करते हुए आरोपियों की इस प्रकरण में गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था। इसमें शहर के डालीबाग इलाके में कथित निष्क्रान्त सम्पत्ति पर घर का नक्शा एलडीए से मंजूर कराने में फर्जीवाड़ा करने आदि के आरोप हैं।
ये भी पढ़ें- यूपी उपचुनावः मुलायम सिंह यादव करेंगे चुनाव प्रचार, सपा स्टार कैंपेनर्स की लिस्ट हुई जारी कोर्ट के इस अंतरिम आदेश से मुख्तार के दोनों बेटों को इस केस में फिलहाल बड़ी राहत मिली है।
याचियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरिगोविंद सिंह परिहार व जयदीप नारायण माथुर ने दलील दी थी कि यह मामला दीवानी प्रकृति के विवाद का है और प्रश्नगत प्राथमिकी से याचियों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इसमें याचियों को इसमें राजनीतिक विद्वेष्वश फंसाँया गया है लिहाजा याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जानी चाहिए। उधर, राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि प्रश्नगत प्राथमिकी से पहली नजर में संज्ञेय मामला बनता है, लिहाजा रिट क्षेत्राधिकार के तहत यह कोर्ट के दखल देने लायक नहीं है।
ये भी पढ़ें- फिर नाराज हुए चाचा शिवपाल, भतीजे अखिलेश पर साधा निशाना, सपा में जाने को लेकर दिया बड़ा बयान महाधिवक्ता की यह भी दलील थी कि यचियों ने साफ- सुथरे तरीके से कोर्ट को अप्रोच नहीं किया है और गुमराह करने के लिए मामले के सारवान तथ्यों को छिपाया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि इस मामले में यचियों को अंतरिम राहत देने का केस बनता है और फर्जीवाड़ा के आरोपों की एफआईआर मामले में याचियों की गिरफ्तारी पर, मामले के आगे सूचीबद्ध होने तक रोक लगा दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद अंतरिम राहत की अर्जी पर गत 15 अक्तूबर को अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था जिसे बुधवार को सुनाया।