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लखनऊ

मुख्तार अंसारी के दो बेटों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

फर्जीवाड़ा के आरोपों की एफआईआर को दी थी चुनौती.

लखनऊOct 21, 2020 / 07:51 pm

Abhishek Gupta

Mukhtar Ansari

मुख्तार अंसारी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
लखनऊ. हाईकोर्ट (highcourt) की लखनऊ पीठ ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के दोनों बेटों के खिलाफ दर्ज फर्जीवाड़ा के आरोपों की एफआईआर मामले में उनकी गिरफ्तारी पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दिया है। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद दो हफ्ते में याचियों की तरफ से प्रति उत्तर दाख़िल किया जा सकेगा। अदालत ने इसके तुरंत बाद याचिका को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं। तबतक यचियों की इस केस में गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। हालांकि, कोर्ट ने साफ कहा है कि इस केस की तफ्तीश जारी रहेगी और दोनों याची विवेचना करने वाली एजेंसी को पूरी तरह से सहयोग करेंगे। न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने यह आदेश मुख्तार अंसारी के दो बेटों अब्बास अंसारी और उमर अंसारी की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
याचिका में राजधानी की हज़रतगंज कोतवाली में उनके खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करने की गुजरिश करते हुए आरोपियों की इस प्रकरण में गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था। इसमें शहर के डालीबाग इलाके में कथित निष्क्रान्त सम्पत्ति पर घर का नक्शा एलडीए से मंजूर कराने में फर्जीवाड़ा करने आदि के आरोप हैं।
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कोर्ट के इस अंतरिम आदेश से मुख्तार के दोनों बेटों को इस केस में फिलहाल बड़ी राहत मिली है।
याचियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरिगोविंद सिंह परिहार व जयदीप नारायण माथुर ने दलील दी थी कि यह मामला दीवानी प्रकृति के विवाद का है और प्रश्नगत प्राथमिकी से याचियों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इसमें याचियों को इसमें राजनीतिक विद्वेष्वश फंसाँया गया है लिहाजा याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जानी चाहिए। उधर, राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि प्रश्नगत प्राथमिकी से पहली नजर में संज्ञेय मामला बनता है, लिहाजा रिट क्षेत्राधिकार के तहत यह कोर्ट के दखल देने लायक नहीं है।
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महाधिवक्ता की यह भी दलील थी कि यचियों ने साफ- सुथरे तरीके से कोर्ट को अप्रोच नहीं किया है और गुमराह करने के लिए मामले के सारवान तथ्यों को छिपाया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि इस मामले में यचियों को अंतरिम राहत देने का केस बनता है और फर्जीवाड़ा के आरोपों की एफआईआर मामले में याचियों की गिरफ्तारी पर, मामले के आगे सूचीबद्ध होने तक रोक लगा दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद अंतरिम राहत की अर्जी पर गत 15 अक्तूबर को अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था जिसे बुधवार को सुनाया।

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