108 पूर्व नौकरशाहों ने लिखा पत्र देश के 108 पूर्व नौकरशाह जिसमें कई बड़े-बड़े नाम शामिल हैं। दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टी. के. ए. नायर हैं। इन सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह उम्मीद जतायी कि वह नफरत की राजनीति को समाप्त करने का आह्वान करेंगे। जिस तेज गति से हमारे पूर्वजों के तैयार संवैधानिक इमारत को नष्ट किया जा रहा है, वह हमें बोलने, अपना गुस्सा तथा पीड़ा व्यक्त करने के लिए मजबूर करता है। खासकर मुसलमानों के प्रति नफरत व हिंसा में वृद्धि ने एक भयावह नया आयाम हासिल किया है। नौकरशाहों के इस पत्र के मीडिया में आने पर, इसे संज्ञान में लिए गया।
सकारात्मक शासन के साथ काम कर सरकार जब पड़ताल हुई तो पाया गया कि, पाकिस्तान टुडे में प्रकाशित दीदार अली बंगवार के विवादित लेख से उठाए गए सवालों को आधार बनाते हुए ही पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। जिस पर बुधवार को भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने पूर्व नौकरशाहों के पत्र को गलत सूचना फैलाने और देश में अविश्वास का माहौल बनाने के लिए लिखा हुआ बताया। संबित पात्रा ने यह भी कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सकारात्मक शासन के साथ काम कर रही है, जबकि पूर्व नौकरशाहों का यह समूह नकारात्मकता फैलाना चाहता है।
अविश्वास पैदा करने का विशेष एजेंडा यूपी शिक्षा मंत्री रहे और भारतीय क्रांति मोर्चा संयोजक डा. मसूद अहमद ने कहाकि, इस पत्र के पीछे गलत सूचना फैलाने और देश में अविश्वास पैदा करने का एक विशेष एजेंडा है। ये पूर्व नौकरशाह जब भी बोलते हैं जहर ही उगलते हैं। देश में हो रहे अच्छे कार्यों पर यह लोग कोई पत्र नहीं लिखते हैं।
गैर जरूरी प्रयास पूर्व नौकरशाहों के इस पत्र पर लखनऊ के जयनारायण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ब्रजेश मिश्र इसे गैर जरूरी प्रयास बताते हैं। उनका कहना है कि कभी देश की सत्ता पर काबिज रहे यह पूर्व नौकरशाह अब हाशिए पर चलते गए हैं ऐसे में भारत विरोधी संगठनों के विचार उठाकर यह लोग मीडिया में जगह पा जाते हैं।