प्रदेश के 69000 युवा अभ्यर्थी बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापकों के पद पर भर्ती की आस लगाए थे। एक लाख पैंतालिस हजार उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की कांउसिलिंग भी शुरू हो गई थी। high Court को इन भर्तियों में कुछ अनियमितताओं और आरक्षण की अवहेलना की शिकायतें मिली। कुछ प्रश्नों और उनके उत्तरों पर भी विवाद रहा। यह स्पष्ट रूप से राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा घोर लापरवाही और पारदर्शिता न बरतने का मामला है। हजारों नौजवानों की जिंदगी से इस खिलवाड के लिए मुख्यमंत्री को सार्वजनिक क्षमा याचना करनी चाहिए।
पुलिस की जांच पड़ताल में भर्ती घोटाले में शामिल एक पूरे गैंग का पता चला है। इनमें अधिवक्ता, स्कूल प्रबन्धक भी है। लाखों रूपए देकर पास हुए दो अभ्यर्थी भी पकड़े गए जो सामान्य प्रश्नों के उत्तर भी नहीं जानते हैं जबकि उन्हें अधिकतम अंक मिले थे। ऐसे ही मामले पुलिस भर्ती, शिक्षामित्र भर्ती तथा अन्य भर्तियों में भी सामने आ चुके हैं। पेपर आउट करने से लेकर उसे हल (साल्व) कराकर दस-दस लाख रूपये में बिक्री करने का काम करने वाले घोटालेबाज बिना भाजपा सरकार के संरक्षण के कैसे इतने बड़े काण्ड कर सकते है। भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा सरकार का जीरो टाॅलरेन्स का क्या हुआ?
वैसे BJP Government के कार्यकाल में सन् 2017 के बाद से चार-चार भर्तियां अदालतों में लटकी पड़ी हैं। अधीनस्थ चयन बोर्ड नियमानुकूल न तो परीक्षाएं करा पाते हैं और नहीं आरक्षण जैसी व्यवस्थाओं का पालन कराने में रूचि लेते हैं। अधिकारी अपनी मनमर्जी से आरक्षण और परीक्षाओं में फेरबदल करते रहते हैं। सच तो है कि BJP Governmentसपने चाहे जितने दिखाए प्रदेश में किसी को रोजगार देने की स्थिति में नहीं है। प्रदेश में उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं। इन्वेस्टर्स मीट के लम्बे चैड़े दावों के बावजूद एक भी उद्यमी का एमओयू जमीन पर नहीं उतर सका है। इसलिए भाजपा सरकार भर्तियां निकालती है फिर पेपरलीक या दूसरी शिकायतों के बहाने अदालतों के निर्णयों का सहारा लेकर चुप बैठ जाती है। बहकाने के लिए भर्तियों का ऐलान और फिर उनका स्थगित हो जाना। B J P इसी साजिश से अपने दिन पूरे करना चाहती है। उसके रहते नौजवानों के भविष्य में कोई आशा किरण नहीं पैदा हो सकती है।
छोटे-छोटे मामलों में ईडी, सीबीआई राजनीतिक नेताओं को फंसाने की साज़िश करती रहती है। बिना साक्ष्य के भी उन्हें परेशान किया जाता है। B J P का विपक्ष के प्रति वैसे भी विद्वेषपूर्ण आचरण रहा है। लेकिन 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के महाघोटाले के मामले में पक्षपात क्यों हो रहा है? मुख्यमंत्री जी के पास इसका क्या जवाब है।