आढ़तियों के अनुसार मंडी में सब्जियों की आवक बहुत कम हो रही है। उत्पादक जबरदस्ती माल नहीं भेज रहे हैं, बल्कि वे अतिरिक्त माल को शीतगृहों में सहेज कर रख रहे हैं और जब किल्लत अधिक होती है, तभी माल निकालते हैं और पूरे दाम वसूलते हैं। रिटेलर और भी ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। मंडी से 160 रुपए प्रति किलो में खरीदी गई ब्रोकली को वे तीन गुना दाम पर बेच रहे हैं। यही स्थिति फूल गोभी की भी है, जो मंडी के रेट से चार गुना दाम पर ग्राहकों को बेची जा रही है।
आलू के बढ़े दाम
आलू के बढ़े हुए दाम भी रिटेलरों की ही वजह से हैं। जो आलू 27 रुपए में खरीदकर खर्चा जोड़ने के बाद 30 रुपए का पड़ता है, उसे 40 रुपए में बेचा जा रहा है। वही आलू बल्केश्वर सब्जी मंडी में आसानी से 35 रुपए प्रति किलो मिल रहा है। इसी तरह टमाटर के दामों में भी मुनाफाखोरी अपने चरम पर है। स्थापित मंडियों में टमाटर का रेट 80 रुपए प्रति किलो है, जबकि रेहड़ी वाले इसे 100 रुपए प्रति किलो तक में बेच रहे हैं। यह भी पढ़ें