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नियमों के तहत क्या होगा जरूरी?सुदर्शन फैसिलिटीज कंपनी की ओर से जारी किए गए आदेश में कुल 21 नियमों की सूची दी गई है, जिन्हें कर्मचारियों को रोजाना पालन करना होगा। इसमें शामिल हैं:
बाल और शर्ट: बालों को कटवाना आवश्यक है और शर्ट पैट से बाहर नहीं रखी जा सकती।
आभूषण और मोबाइल: कर्मचारियों को कार्यस्थल पर आभूषण पहनकर आने की अनुमति नहीं होगी और मोबाइल का प्रयोग भी प्रतिबंधित होगा।
बाहर न निकलना: बिना किसी आदेश के कार्यस्थल से बाहर न निकलने का आदेश दिया गया है।
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साथ ही यह आदेश भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें ड्यूटी स्थगित करना या नौकरी से हटाना भी शामिल हो सकता है।
नए नियमों के लागू होने के बाद लोहिया संस्थान के आउटसोर्स कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया है। उनका कहना है कि यह सख्ती किसी अन्य संस्थान में नहीं है, और कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर की तरह व्यवहार किया जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि छोटी-छोटी गलती पर उनसे क्षमा पत्र लिखवाया जा रहा है, जिससे कभी भी नौकरी से निकाला जा सकता है।
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कर्मचारियों का कहना है कि इन सख्त नियमों को लागू करने से पहले अधिकारियों को कर्मचारियों से संवाद करना चाहिए था, ताकि उनकी समस्याओं और परेशानियों को सुना जा सके। कर्मचारी यह भी मानते हैं कि इन नियमों से संस्थान की कार्य संस्कृति पर नकारात्मक असर पड़ेगा।लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. भुवन तिवारी ने इन नियमों का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कुछ समय पहले संस्थान में कर्मचारियों को मरीजों से पैसे लेने के आरोप में पकड़ा गया था, जो संस्थान की छवि के लिए नुकसानदेह था। उनका कहना है कि कर्मचारियों का दाढ़ी, बाल और नाखून कटवाना इस बात को सुनिश्चित करेगा कि वे हाइजेनिक रहें, जिससे न केवल संस्थान की छवि सुधरेगी बल्कि मरीजों और उनके तीमारदारों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
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डॉ. तिवारी ने कहा कि यह नियम सही हैं और यदि किसी कर्मचारी को कोई परेशानी है तो वह अपने उच्च अधिकारियों से संपर्क कर सकता है। उन्होंने इस बात का भी ध्यान दिलाया कि यह कदम संस्थान के कार्यक्षेत्र की स्वच्छता और कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।लोहिया संस्थान में लागू किए गए नए नियम कई सवाल उठा रहे हैं। एक ओर जहां संस्थान का मानना है कि इन नियमों से स्वच्छता और अनुशासन बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर कर्मचारी इन्हें अपनी स्वतंत्रता और कामकाजी अधिकारों का उल्लंघन मान रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इन नियमों के चलते उन्हें एक पाबंदी की तरह महसूस होता है, और उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है।