यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इस बारे में कहा कि नियामक आयोग में रिपोर्ट दी गई है। इसमें स्लैब परिवर्तन की बात कही गई है। इससे रेट बढ़ना तय है। यह एक तरीके से बैक डोर से बिजली महंगी करने वाली बात है। इससे शहर में घरेलू और कॉमर्शियल उपभोक्ताओं दोनों का बिल बढ़ेगा। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 300 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं का बिल बढ़ेगा।
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इस काम के लिए 40 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी योगी सरकार, जानें क्या है यह योजना इन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा महंगी बिजली का असर कॉरपोरेशन ने नियामक आयोग में जो प्रस्ताव दिया है, उसमें हर महीने 100 यूनिट से अधिक उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ता की बिजली महंगी हो जाएगी। अभी तक 500 यूनिट से अधिक बिजली का इस्तेमाल करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को सात रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल देना पड़ता था। अब यही बिल 300 रुपये प्रति यूनिट के ऊपर उपभोग पर देना होगा। अभी तक 150 यूनिट से ऊपर उपभोग पर 5.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल देना होता है। नया प्रस्ताव मंजूर होने पर 100 यूनिट के ऊपपर उपभोग पर 5.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल देना होगा।
इस वजह से इजाफा करने की तैयारी कोयले की कीमत और अन्य वजहों को बताकर बिजली कंपनियों ने इसका मसौदा तैयार किया है। खास बात यह है कि बिजली की दरों में इजाफे के दो प्रस्ताव को बिजली नियामक आयोग खारिज कर चुका है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां इसे फिर से तैयार कर आयोग को भेज रही हैं। दरअसल, बिजली कंपनियों ने यूपी बिजली नियामक आयोग में बिजली दरों की बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं दिया था। लेकिन उसके बावजूद कंपनियों ने स्लैब चेंज के जरिये बिजली उपभोक्ताओं से ज्यादा पैसा वसूलने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत कंपनियों ने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के स्लैब में प्रस्तावित बदलाव के जरिये बिजली यूनिटों की संख्या घटाई गई है। कहा जा रहा है कि अगर ये स्लैब चेंज रेगुलेटरी कमीशन अगर मान लेता है तो घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली बिल में इजाफा होना तय है। बता दें कि 21 जून से बिजली कंपनियों के एआरआर और बिजली दरों पर नियामक आयोग की सुनवाई होनी है।
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UP Board 10th 12th Result : रिजल्ट जारी होने के बाद कैसे मिलेगी मार्कशीट, देख लें यह तरीका शासन स्तर पर होगा विरोध- अवधेश वर्मा अवधेश वर्मा ने बताया कि इसका विरोध नियामक आयोग से लेकर शासन स्तर पर होगा। यह व्यवस्था दो बार विद्युत नियामक आयोग द्वारा खारिज की जा चुकी है। इसके बावजूद इसे लागू कराने के लिए बिजली कंपनियां फिर से दबाव बना रही है।