ये भी पढ़ें- एक ही परिवार के कई लोगों ने लोकभवन के सामने किया आत्मदाह का प्रयास, पुलिस प्रशासन में मचा हड़कंप उत्तर प्रदेश में वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम (UPRVUN), उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (UPRVUNL), उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL), यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPTCL) जैसी सरकारी संस्थाएं बिजली वितरण करती हैं। ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में कुछ अन्य कंपनियां भी बिजली सप्लाई करती हैं। नए नियम के तहत यह कंपनियां देश के अन्य राज्यों में भी अपनी बिजली सप्लाई कर सकेंगी। साथ ही अन्य राज्यों की कंपनियां यूपी में आकर अपनी सेवाएं भी दे सकेंगी। विधेयक के अनुसार, इसमें दो या उससे अधिक डिस्कॉम को एक ही इलाके में पंजीकरण और बिजली सप्लाई करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। साथ ही किसी एक क्षेत्र में मौजूदा बिजली खरीद करार को सभी डिस्कॉम साझा करेंगी और वे अलग से बिजली खरीदने का करार भी कर सकेंगी।
ये भी पढ़ें- योगी सरकार की बड़ी पहल, यूपी के 50 हजार युवा लेंगे अमेरिका स्थित ऑनलाइन फ्री ट्रेनिंग, विदेश में मिलेगी नौकरी उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ फैसले से नाखुश-कंपनियों के एकाधिकार का जिक्र करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, कंप्टीशन को बढ़ावा देकर उपभोक्ताओं को विकल्प उपलब्ध कराने की जरूरत है। उपभोक्ताओं को मनचाही वितरण कंपनी चुनने का विकल्प देने का खाका तैयार होगा।। इस फैसले से एक ओर जहां उपभोक्ता खुश हैं, तो वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ इससे नाराज है। संघ का मानना है कि निजी बिजली कंपनियां प्रदेश में आने के बाद बिना किसी निवेश किए सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का उपयोग करेंगी। वह केवल मुनाफा वाले औद्योगिक व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और सरकारी कंपनियां घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को घाटा उठाकर बिजली देने पर मजबूर हो जाएंगी।