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लखनऊ

Eco Tourism : नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बनेगा यूपी

.ईको टूरिज्म बनेगा इस अद्भुत संगम का जरिया
.प्रदेश में शीघ्र गठित होगा ईको टूरिज्म बोर्ड
.पर्यटन, सिंचाई, वन, आयुष, ग्राम्य विकास विभाग तैयार करेंगे ईको टूरिज्म की नीति

लखनऊJul 12, 2022 / 02:56 am

Ritesh Singh

Eco tourism : नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बनेगा यूपी

Eco tourism : नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बनेगा यूपी

प्राकृतिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत के लिहाज से उत्तर प्रदेश की धरा बेहद संपन्न है। इन सारे क्षेत्रों पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। अगर पर्यटन के लिहाज से इन क्षेत्रों के विकास के दौरान प्रकृति को केंद्र में रखा जाय तो ईको टूरिज्म की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं। नेचर, कल्चर और एडवेंचर के संगम के ये स्थल देश-दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे। इसके लिए सरकार ईको टूरिज्म प्रोत्साहन नीति बनाने में जुट गई है। इस तैयारी में पर्यटन विभाग के साथ सिंचाई, वन, आयुष, ग्राम्य विकास और अन्य संबंधित विभागों की अहम भागीदारी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 10 जुलाई को इस बावत संबंधित विभागों को समन्वित पहल करने का निर्देश भी दे चुके हैं।
यूपी में जमकर ले सकते हैं प्राकृतिक खूबसूरती के दीदार

एक आकलन के अनुसार, छुट्टियों पर आने वाले पर्यटकों में से लगभग 35 प्रतिशत ईको-हॉलिडे पर जाना पसंद करते हैं। शर्त यह है कि उनके हिसाब से संबंधित जगहों पर जरूरी बुनियादी सुविधाएं हों। संयोग से उत्तर प्रदेश में खूबसूरत प्राकृतिक नजारे वाली ढेरों जगहें हैं। मसलन, प्रदेश की तराई का क्षेत्र जैविक विविधता के लिहाज से बेहद संपन्न है। यहां के घने जंगल उनमें उपलब्ध भरपूर जलस्रोतों की वजह से बाघ, हाथी, हिरण, मगरमच्छ, डॉल्फिन और लुप्तप्राय हो रहे पक्षियों की कई प्रजातियों का स्वाभाविक ठिकाना हैं। दुधवा, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और कतरनिया घाट के जंगल जैविक विविधता के भंडार हैं।
हर वर्ष बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक इस जैविक विविधता को देखने के लिए आते हैं। इसी तरह मानव जीवन के शुरुआत का इतिहास संजोए सोनभद्र का फॉसिल (जीवाश्म) पार्क भी प्रकृति का इतिहास जानने में दिलचस्पी रखने वाले पर्यटकों को खूब लुभाता है। यहां के 150 करोड़ वर्ष पुराने जिवाश्म दुनिया के लिए शोध का विषय हैं। लगभग 25 हेक्टेयर में फैला ये फासिल्स पार्क अमेरिका के यलो स्टोन पार्क से भी बड़ा है। इसी नाते इसका शुमार दुनिया के सबसे बड़े फॉसिल्स पार्क में होता है।

ये भी होंगे ईको टूरिज़्म के आकर्षण के केंद्र


बखिरा सैंक्चुरी, चंद्रप्रभा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, हस्तिनापुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, कैमूर सैंक्चुरी, किशनपुर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, महावीर स्वामी सैंक्चुरी, नेशनल चंबल वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी, पार्वती आगरा बर्ड सैंक्चुरी, रानीपुर सैंक्चुरी, सोहगीबरवा सेंक्चुरी, विजय सागर सैंक्चुरी, सुरहा ताल सैंक्चुरी, सुहेलदेव सैंक्चुरी आदि जगहों पर भी प्राकृतिक पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं। टूरिज्म पॉलिसी 2018 में इन सबका उल्लेख भी है।

पर्यावरण के लिहाज से बेहद समृद्ध इन सभी जगहों के विकास के लिए योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में आई पर्यटन नीति-2018 में जिन 12 परिपथों का जिक्र था, उसमें वाइल्डलाइफ एंड ईको टूरिज्म परिपथ भी एक था। इस परिपथ में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए शुरू कार्यों का सिलसिला योगी-2.0 में भी जारी रहेगा। ये स्थान लोंगों का ध्यान खींचें, इसके लिए इनके प्रचार-प्रसार भी पूरा जोर होगा। इस क्रम में जैव विविधता दिवस 22 मई को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग राज्य स्तरीय गोष्ठी का आयोजन किया था।
ब्रज का सौभरि वन क्षेत्र भी पर्यटकों को लुभाएगा

शीघ्र ही ब्रज क्षेत्र के राधा-कृष्ण, कृष्ण और ग्वाल-बालों की याद दिलाने वाले सौभरि वन का भी लोकार्पण होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर कहते हैं कि प्रकृति और परमात्मा की उत्तर प्रदेश पर असीम अनुकंपा है। इन्ही संभावनाओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने 10 जुलाई की बैठक में ईको टूरिज़्म बोर्ड के गठन के बारे में जरूरी निर्देश दिए। इसके पहले भी दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के चंद रोज बाद ही मंत्रिमंडल के समक्ष नगर विकास सेक्टर से संबंधित विभागों के प्रस्तुतिकरण के दौरान अपनी इस बात को दोहराते हुए।

उन्होंने कहा था कि संभावनाओं को आकार देने के लिए ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन किया जाए। हेरिटेज वृक्षों के संरक्षण के साथ लखनऊ स्थित कुककरैल पिकनिक स्पॉट को और बेहतर बनाया जाए। यहां ईको टूरिज्म की ढ़ेर सारी संभावनाएं हैं। अपने पहले कार्यकाल से ही उनकी मंशा उत्तर प्रदेश को ईको टूरिजम के लिहाज से देश का पसंदीदा स्थल बनाने की रही है। इसके तहत प्रदेश के 9 तरह की एग्रो क्लाइमेटिक जोन (कृषि जलवायु क्षेत्र) के मद्देनजर विलेज टूरिज्म को जोड़कर इसके दायरे को विस्तार दिया जा रहा है।
ऐसी होगी ईको टूरिज्म बोर्ड की संरचना

मुख्यमंत्री की सलाह है कि प्रस्तावित ईको टूरिज्म बोर्ड की नोडल एजेंसी पर्यटन विभाग हो। इसमें संबंधित विभागों के मंत्री, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, महानिदेशक,निदेशक के साथ ही भारतीय वन सेवा के योग्य अधिकारी और विशेषज्ञों को शामिल किया जाय।
नेचर गाइड के लिए स्थानीय युवाओं को मिलेगा प्रशिक्षण

बोर्ड द्वारा पर्यटन व सांस्कृतिक विरासत मूल्यों का प्रचार-प्रसार, आतिथ्य सत्कार के लिए स्थानीय समुदायों की कौशल क्षमता का निर्माण, पर्यटकों के लिए यात्रा कार्यक्रम तैयार करना, ईको-टूरिज्म साइट का प्रचार-प्रसार, परियोजनाओं के संचालन के लिए पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ समन्वय बनाने जैसे कार्य संपादित किये जायेंगे।

ईको पर्यटन, वन्य जीव एवं अन्य वानिकी कार्यों में स्थानीय लोगों में से योग्य युवाओं का चयन कर उनको ‘नेचर गाइड’ के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। वन्य जीवों की रिहाइश वाले जंगलों के बीच स्थित गांवों का उनकी सहमति से समुचित व्यवस्थापन भी कराया जाएगा।

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने कहा कि “समग्रता में प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र के नियोजित विकास के लिए 2018 में जो टूरिज्म पालिसी बनी थी, उसमें ईको टूरिज्म सर्किट में कई स्थानों का जिक्र है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार इन सभी जगहों पर पर्यटकों की सुविधा के लिहाज से बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। साथ ही इनकी ब्रांडिंग भी, ताकि अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक यहां आएं। प्रकृति का आनंद लें।

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