इन दिनों लगभग हर घर में कोई न कोई बुखार से पीड़ित है। बातचीत में सामने आया कि कोविड लक्षण होने के बावजूद ग्रामीण कोरोना टेस्ट नहीं कराते हैं। उन्हें भय है कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उन्हें जानें किस अस्पताल भेज दिया जाएगा, जहां से जीवित बचके आ पाना मुश्किल होगा। इसलिए वह गांव में ही इलाज कराना पसंद करते हैं। हालांकि, कुछ का यह भी कहना है कि टेस्टिंग कहां कराएं? और अगर करा भी लें तो 4-6 दिन बाद रिपोर्ट आती है, तब तक कई सीरियस मरीजों की तो मौत हो जाती है।
यूपी में फिर बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू, अब 10 मई सुबह 7 बजे तक कड़ी पाबंदियां
‘भगवान’ बने झोलाझाप डॉक्टर
ग्रामीण इलाकों में इन दिनों झोलाछाप डॉक्टर ही मरीजों के लिए भगवान बने हुए हैं। कोरोना महामारी के दौर में जब शहरों-कस्बों में डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिये तो गांव के डॉक्टर ही उनका ट्रीटमेंट कर रहे हैं। हरदोई जिले के भैनगांव निवासी अश्वनी कुमार लखनऊ में नौकरी करते हैं। गांव में अचानक पिताजी की तबियत खराब हो गई तो उन्होंने गांव के डॉक्टर से इलाज कराया। कहा कि लखनऊ में तो कोई देखने को भी तैयार नहीं है। ऐसे में वह गांव में ही स्वस्थ रहेंगे। कमोबेश हर गांव की यही कहानी है, लोग स्थानीय डॉक्टर से ही ट्रीटमेंट ले रहे हैं। चाहे वह स्वस्थ हों या नहीं।
बढ़ते कोरोना को देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार गांवों में विशेष कोविड टेस्टिंग अभियान चला रहा है। 5 मई से शुरू हुए इस अभियान के तहत गांवों में 10 लाख से अधिक एंटीजन टेस्ट कर गांवों में कोरोना की घुसपैठ को रोका जाएगा। कोविड टेस्टिंग अभियान का यह अभियान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की देखरेख मेडिकल स्टाफ, आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिए चलाया जा रहा है। एंटीजन टेस्ट में जो ग्रामीण कोरोना संक्रमित पाया जाएगा, उसका गांव में ही तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा। कोरोना संक्रमित ग्रामीण को इलाज के लिए दवाई वाली एक कोविड किट और आयुष काढ़ा दिया जाएगा।