हमीरपुर में चली लाठी-गोली हमीरपुर जनपद के जरिया थाना क्षेत्र के छिमौली और मंगरौल गॉंव के बीच झड़प की शुरुआत एक गांव के अन्ना जानवरों को दूसरे गांव में खदेड़े जाने से हुई। विवाद में दोनों गांव के लोग आमने-सामने आ गए और खूब लाठियां चलीं। इस दौरान किसानों के एक पक्ष ने हवाई फायरिंग भी की। घटना के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों के लोगों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया। हत्या की कोशिश, बलवा, मारपीट जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया और कई किसान हिरासत में लिए गए। विवाद के बाद हज़ारों आवारा गौवंश राठ के एक कॉलेज के खेल के मैदान पर रखे गए हैं।
तीन जिलों में तनाव हिंसक झड़प यहीं नहीं रुकी। तीन दिन पहले रात के समय महोबा और हमीरपुर के किसानों ने आवारा जानवरों को हांककर बांदा की सीमा में प्रवेश कराने की कोशिश की। इस पर तनाव बढ़ गया और किसान आमने-सामने आ गए। बाद में किसानों ने अपने-अपने क्षेत्र के जानवरों को वापस किया जिसके बाद विवाद टला। इसी तरह महोबा जनपद के रेवई गांव और हमीरपुर के सिरसी गांव के 50 से अधिक किसान सैकड़ों गाय को हांककर बांदा में प्रवेश कराने की कोशिश की। बांदा के किसानों ने लाठी उठा ली जिसके बाद जानवरों को प्रवेश करा रहे किसानों को अपने क्षेत्र के जानवर वापस ले जाने पड़े।
अन्ना जानवर बने बुंदेलखंड की मुसीबत अन्ना जानवर बुंदेलखंड के किसानों की सबसे बड़ी मुसीबत रहे हैं। दूध न देने वाले जानवरों, ख़ास गाय को इस क्षेत्र में लोग छुट्टा छोड़ देते हैं। किसी तरह मौसम की बेरुखी के बीच खाद-पानी का इंतजाम कर किसान फसलों की बुवाई कर ले तो यह आवारा जानवर उसके लिए सबसे बड़ी मुसीबत साबित हैं। हर क्षेत्र में घूमते हज़ारों की संख्या में आवारा जानवर कब किस किसान की फसल को चौपट कर दे, कोई नहीं कह सकता। अन्ना जानवरों के डर से बुंदेलखंड में बहुत सारे किसान फसलों की बुवाई तक नहीं करते क्योंकि इस क्षेत्र में आवारा जानवरों पर नियंत्रण के लिए सरकार की कोई नीति नहीं है।
चुनावी एजेंडे में शामिल रहे अन्ना जानवर बुंदेलखंड में अन्ना के आतंक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इसे चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। बुंदेलखंड के चुनावी दौरों में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष
केशव प्रसाद मौर्य ने बुंदेलखंड के लोगों से यह वादा किया था कि ग्राम पंचायत स्तर पर आवारा जानवरों को रखने के लिए गौशालाएं बनाई जाएँगी जिससे किसानों की समस्या का समाधान हो सके।
अन्ना पर नियन्त्र के सरकारी दावे उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड में किसानों के सामने पेयजल के बाद सबसे बड़ा संकट आवारा जानवरों को ही माना है। मुख्यमंत्री इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि पूरे बुंदेलखंड में गौशालाएं बनाई जाएँगी और बुंदेलखंड में गाय की नस्लों पर शोध भी होगा। कई क्षेत्रों में गौशालाओं के लिए जमीनें चिह्नित करने का
काम शुरू भी हो गया है लेकिन काम की गति बताती है कि किसानों को फिलहाल इस समस्या से राहत मिलने वाली नहीं है।
किसान समृद्धि आयोग ने उठाई मांग उत्तर प्रदेश में नव गठित किसान समृद्धि आयोग के सदस्य प्रेम सिंह कहते हैं कि सरकार की नीतिगत खामी का खामियाजा किसान भुगत रहे हैं। वे कहते हैं कि बुंदेलखंड में हर ब्लॉक क्षेत्र में 10 से 15 हज़ार आवारा जानवर हैं जो किसानों की मुसीबत बन रहे हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहें तो वे इस समस्या के समाधान के लिए निर्णय ले सकते हैं। चैदहवें वित्त आयोग की धनराशि से ग्राम पंचायतें किसी भी तरह का काम करने को स्वतंत्र हैं और उनके पास इसके तहत पैसा भी उपलब्ध है। ग्राम पंचायत स्तर पर इस धनराशि से गौशालाओं का निर्माण कराया जाना चाहिए।
हर रोज हो रही हिंसक घटनाएं आवारा जानवरों के खेत में घुसकर फसल चर जाने के कारण हर रोज बुंदेलखंड के अलग-अलग हिस्सों में हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं। झांसी जनपद के मऊरानीपुर थाना क्षेत्र के कुआगांव की पुक्खन ने पुलिस को शिकायती पत्र देकर बताया कि आवारा जानवरों को खेत में घुसने से रोकने पर दूसरे पक्ष के लोगों ने उसके साथ मारपीट की। पुक्खन ने बताया कि आवारा जानवरों के कारण खेतों में खड़ी फसल खतरे में हैं। बुंदेलखंड के सभी जनपदों में हर रोज इस तरह की शिकायतें पुलिस और प्रशासन के सामने आ रही हैं जो इस समय कानून-व्यवस्था के लिए भी चुनौती बनी हुई हैं।
आंदोलन की तैयारी बुंदेलखंड में आवारा जानवरों को रोकने की व्यवस्था न होने से नाराज किसानों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के बुंदेलखंड प्रभारी
शिव नारायण परिहार कहते हैं कि बुंदेलखंड में हालात बेकाबू है। इस बार रबी की फसल अभी तक केवल 30 प्रतिशत ही बोई जा सकी है । किसान दिन रात फसलों की रखवाली में लगा है और हज़ारों किसानों ने आवारा जानवरों के डर से फसलों की बुवाई तक नहीं की है। परिहार कहते हैं कि अब बुंदेलखंड के किसान इस समस्या को लेकर प्रशासन से आमने-सामने की जंग की तैयारी कर रहे हैं।