इसका ताजा मामला कानपुर में देखने को मिला, जहां चकेरी के लाल बंगला निवासी 36 वर्षीय युवक को बुखार के साथ हल्की खांसी व जुकाम था। दवाएं खाकर वह ठीक तो हो गया, लेकिन चलने-फिरने में उसका दम फूलने लगा। जिसके चलते उसे हैलट अस्पताल में दिखाया गया। यहां कोरोना की पुष्टि हुई और सीटी स्कैन में दोनों फेफड़ों में जबरदस्त संक्रमण मिला। ऑक्सीजन लेवलघटकर 75 फीसद ही मिला। वेंटीलेटर पर रखने के बाद भी उसकी मौत हो गई।
ये भी पढ़ें- कोरोनाः जांच में हुआ खुलासा, पल्स ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर की खरीद में 28 जिलों में हुई धांधली कैसे होती है इसकी पहचान-जब किसी इंसान के शरीर या शरीर के किसी हिस्से में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं होती है तो उसका शरीर ठीक से काम नहीं करता है। ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उनका पता न चलना ही हैप्पी हाईपॉक्सिया कहलाता है। केजीएमयू के डॉ. डी हिमांशु का कहना है कि हैप्पी हाईपॉक्सिया की समस्या कोरोना मरीजों में सर्वाधिक दिखाई दे रही है। यह समस्या कई बार ऑक्सीजन लेवल न चेक कराने के कारण पता ही नहीं चलती है। ऐसे में यदि बुखार, हल्की खांसी और जुकाम है, चलने-फिरने में थकान महसूस होती है तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि यह कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण वाले लोग अपने सभी काम करते रहते हैं और इस बीमारी की गंभीरता का अहसास ही नहीं होता है।
ये भी पढ़ें- यूपी में एक करोड़ से ज्यादा हुई कोरोना जांच, बना रिकॉर्ड यहीं पर संक्रमण धीरे-धीरे दोनों फेफड़ों को चपेट में ले लेता है। शरीर में ऑक्सीजन लेवल गिरता जाता है। सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलने पर अस्पताल पहुंचते हैं। ऑक्सीजन लेवल नार्मल यानी 99 फीसद से घटकर 70-80 फीसद पर पहुंच जाता है। ऐसे मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो जाता है, इस स्थिति को डॉक्टर हैप्पी हाईपॉक्सिया कहते हैं।