साल 1991 में भर्ती 1800 कर्मचारी साल 2002 में हुए थे नियमित
वन विकास निगम में स्केलर और समूह ‘घ’ में वर्ष 1991 या उससे पहले दैनिक वेतन पर भर्ती करीब 18 सौ कर्मचारियों को 2002 में नियमित किया गया था। ऐसे में ये कर्मचारी यूपी की नियमावली के अनुसार सेवा शुरू होने के दिन से ही विनियमित करने की मांग कर रहे थे। इस मामले में कर्मचारी हाईकोर्ट भी गए। लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार फरवरी 2023 को सरकार ने आदेश किए कि 2002 में नियमित हुए इन सभी कर्मचारियों को 1991 से सेवा का लाभ दिया जाए।
1991 से दिए गए वरिष्ठता समेत तमाम सरकारी लाभ
यानी उनको 1991 से ही वरिष्ठता के साथ वेतन भत्ते सहित तमाम लाभ दिए जाएं। इसके बाद निगम ने सरकार के आदेश का पालन करते हुए इन कर्मचारियों को वरिष्ठता के साथ वेतन-भत्ते देना शुरू कर दिया। लेकिन अब करीब डेढ़ साल बाद सरकार ने अचानक अपने आदेश को निरस्त करते हुए सभी की वरिष्ठता समाप्त कर दी यानी अब दोबारा उनकी सेवाएं 2002 से ही मान्य होंगी। उत्तराखंड वन विकास निगम के एमडी ने क्या बताया?
एमडी सुबुद्धि ने बताया कि निगम के अफसरों को सरकार द्वारा दिए गए आदेश का अनुपालन करने के निर्देश दे दिए हैं। इधर, वन विकास निगम कर्मचारी संगठन के प्रदेश महामंत्री प्रेम सिंह चौहान ने बताया कि ये निर्णय कर्मियों के साथ अन्याय है। शासन ने वित्त व कार्मिक सहित तमाम विभागों की राय के बाद वरिष्ठता दी थी। अब इसे निरस्त करने के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
वेतन और एरियर की होगी रिकवरी
सरकार के इस आदेश के बाद कर्मचारियों और पेंशनरों पर वेतन-पेंशन घटने के अलावा रिकवरी की भी तलवार लटक गई है। वरिष्ठता के आधार पर उन्हें बीते डेढ़ साल में जो वेतन-पेंशन मिली, उसकी वसूली हो सकती है। साथ ही करीब ड़ेढ से दो लाख रुपये एरियर मिला है वो भी वापस करना पड़ सकता है।