दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और केजीएमयू में हर सातवें दिन पर एक पीड़ित इलाज के लिए पहुंच रहा है। दूसरी ओर बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस और न्यायालय दोनों सख्त हैं। बीते दो वर्षों में बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले दो अपराधियों के खिलाफ फांसी जैसी कठोर सजा दी गई है। महिला अपराध पर अधिकारियों के सख्त निर्देश हैं कि आरोपियों तत्काल प्रभाव से एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जाए। इसके बावजूद भी बच्चों के साथ दुष्कर्म के अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
पत्रिका ने दुष्कर्म के पीछे अपराधी की मंशा व घटनाओं के कारणों को जानने के लिए एक्सपर्ट से बात की तो लखनऊ के मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले अपराधी कुंठा से ग्रसित होते हैं। ऐसे लोग समाज की मुख्यधारा में कभी जुड़ नहीं पाते हैं। कुछ सावधानियां बरतकर ऐसे लोगों की पहचान की जा सकती है। कुंठा से ग्रसित लोग कभी आंखें मिला कर बात नहीं करते वही एकांत में रहना पसंद करते हैं। ऐसे लोगों से अपने बच्चों को दूर रखना चाहिए वहीं कई मामले सामने आए हैं जिसमें लोगों ने रंजिश, संपत्ति विवाद के चलते दुश्मनी में बच्चों को शिकार बनाते हुए उनके साथ दुष्कर्म किया।
पॉर्नोग्राफी भी एक बड़ा कारण एक्सपर्ट्स का कहना है कि चाइल्ड पॉर्नोग्राफी भी बच्चों के साथ होने वाले अपराधों को बढ़ावा देता है। इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने के बाद लोग बच्चों को शिकार बनाने के लिए प्रेरित होते हैं। इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जानें चाहिए।
बच्चों को शिकार बनाना होता है आसान एक्सपर्ट का मानना है कि अपराधियों के लिए बच्चों को शिकार बनाना आसान होता है। कई बार छोटे-मोटे लालच देकर या बहला-फुसलाकर उन्हें शिकार बनाया जाता है। तमाम बार तो शिकार होने के बावजूद भी बच्चे डर या लोक लाज के चलते अपने साथ हुई आपबीती परिजनों को नहीं बताते हैं। ऐसे में अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।