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लखनऊ

दोस्त की बैटरी से भी चल सकेगा आपका मोबाइल, लांच हुई बड़ी टेक्नालॉजी

New Technology for Mobile Charging: अब डाटा की तरह मोबाइल की चार्जिंग भी शेयर की जा सकती है। अब अपने दोस्त के फोन चुटकियों में बैटरी ले सकते हैं।

लखनऊMay 29, 2022 / 11:15 am

Snigdha Singh

दोस्त की बैटरी से भी चल सकेगा आपका मोबाइल, लांच हुई बड़ी टेक्नालॉजी

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मोबाइल की बैटरी डाउन हो गई, चार्जर नहीं है या बिजली गायब है…कोई बात नहीं। बहुत जल्द आप बैटरी की चार्जिंग भी डेटा की तरह दूसरों से ले सकेंगे। यानि मोबाइल में पांच-सात फीसदी चार्ज बचे तो भी ज्यादा बैटरी वाले मोबाइल से कनेक्ट होकर घंटों फोन इस्तेमाल कर सकते हैं। यह तकनीक कानपुर स्थित उप्र वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआई) और राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, कन्नौज के वैज्ञानिकों ने मिलकर विकसित की है। इसे मोबाइल एडहॉक नेटवर्क नाम दिया गया है। दक्षिण अफ्रीका ने वर्ष 2044 तक के लिए इस तकनीक का पेटेंट जारी कर दिया है।
ऐसे काम करती है यह तकनीक

वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक विशेष एल्गोरिदम तैयार किया। इसे कई मोबाइल में डाउनलोड किया गया। अब सारे मोबाइल एल्गोरिदम के जरिए आपस में जुड़ गए। इससे एक बार में अधिकतम आठ मोबाइल कनेक्ट हो सकते हैं। अब इनमें से जिस मोबाइल की बैटरी पांच फीसदी से कम होगी, वह 50 फीसदी से अधिक चार्ज वाले फोन से कनेक्ट हो जाएगा। यह प्रक्रिया स्वत:स्फूर्त होती है। अब डाउन बैटरी वाला मोबाइल घंटों इस्तेमाल किया जा सकता है। न्यूनतम पांच और अधिकतम 50 प्रतिशत बैटरी चार्ज की सीमा को बढ़ाया-घटाया जा सकता है।
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20 मीटर की रेंज में आठ मोबाइल कनेक्ट होंगे

इस नेटवर्क के माध्यम से आठ मोबाइल 20 मीटर की रेंज तक आपस में जुड़ सकते हैं। इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। संख्या और दूरी बढ़ाने पर अभी शोध चल रहा है।
हॉटस्पॉट से आया आइडिया

यह तकनीक विकसित करने का ख्याल हॉटस्पाट से आया। वैज्ञानिकों ने बताया कि इंटरनेट खत्म होने पर दूसरे मोबाइल के हाटस्पाट के जरिए जिस तरह नेट का प्रयोग कर सकते हैं, वैसे ही दूसरे मोबाइल की बैटरी का इस्तेमाल संभव बनाने पर रिसर्च शुरू की गई, जो कई प्रयासों के बाद सफल हुई।
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रिसर्च टीम

राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज कन्नौज से प्रो. अभिषेक बाजपेई, इं. शशांक यादव, इं. नवीन कुमार तिवारी, इं. गौरीश जोशी, उप्र वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से डॉ. इंद्र प्रकाश मिश्रा।
मोबाइल ए़डहॉक तकनीक

रिसर्च प्रमुख प्रो. अभिषेक बाजपेई 18 महीने की मेहनत सफल हुई। यह एल्गोरिदम तैयार करना बड़ी सफलता है। इसमें कई मोबाइल एक साथ जोड़कर आपस में बैटरी का साझा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे मोबाइल एडहॉक नेटवर्क नाम दिया गया है। दक्षिण अफ्रीका में पेटेंट मिल चुका है। भारत व अमेरिका में पेटेंट प्रक्रियाधीन है।
लैपटॉप, सेंसर में भी सफल

प्रो. मनोज शुक्ला, निदेशक, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, बताया कि यह एडहॉक नेटवर्क मोबाइल के अलावा लैपटॉप व सेंसर पर भी काम करेगा। जो इलेक्ट्रानिक्स प्रोडक्ट कंप्यूटिंग पर काम करते हैं, उसमें यह कारगर साबित होगा। रिसर्च टीम ने यह बेहतरीन सफलता हासिल की है।

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