सर्दियों में बदला कपाट खुलने का समय, परंपरागत कंबल से भक्त करते हैं भगवान का श्रृंगार
लखनऊ. सर्दियों की शुरूआत हो चुकी है। राजधानी लखनऊ में दिसंबर का न्यूनतम तापमान 9 डिग्री तक पहुंच चुका है। कड़ाके की ठंड की शुरूआत के साथ ही भगवान के सोने और जागने के समय में भी परिवर्तन हुआ है। यानी कि मंदिरों के कपाट जहां पहले 6 बजे तक खुलते थे वहीं अब वह 6:30 या 7 बजे तक खुलेंगे। ये बदलाव मार्च 2020 तक जारी रहेंगे। यही नहीं, भक्त अपनी शृद्धा अनुसार कंबल और ऊनी कपड़ों से भगवान का शृंगार करते हैं।
समय में एक घंटे का बदलाव राजधानी लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर में एक घंटे का बदलाव हुआ है। गर्मी के मौसम में सुबह 5 बजे खुलने वाले कपाट सर्दियों में सुबह 6 से दोपहर 1 बजे और दिन में 3 बजे से रात 10 बजे तक खुले रहते हैं। ये शेड्यूल वासंतिक नवरात्र तक चलेगा।
परंपरागत कंबल से होता है बाबा का श्रृंगार हनुमान सेतु (Hanuman Setu) मंदिर में कोरियन कंबल, महंगी जयपुरी रजाइयां, काले वस्त्र, हरे, नीले, बैंगनी व रंगीन चादरें श्रृंगार के लिए वृजित हैं। बाबा को श्रृंगार के लिए परंपरागत कंबल चढ़ाया जाता है। जबकि भगवान का वस्त्र श्रृंगार परंपरागत ऊनी शाल से होता है।
सुबह 6:30 बजे खुलता है कपाट शास्त्रीनगर दुर्गा मंदिर के कपाट सर्दियों में सुबह 6:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक खुले रहते हैं। वहीं शाम को कपाट 5:30 से रात 11:30 बजे तक खुले रहते हैं। सुबह की आरती 8:30 बजे और रात की आरती 9 बजे होती है। गर्मियों में इस मंदिर के कपाट खुलने का समय सुबह 6 से 11:30 बजे तक रहता है। इसके बाद शाम को मंदिर के कपाट 5:30 बजे से 11 बजे तक खुले रहते हैं।
कपाट खुलने का समय आधे घंटे बढ़ा नगर के सबसे पुराने शिवालय मनकामेश्वर मंदिर में कपाट खुलने का समय सर्दियों में आधे घंटे से आगे बढ़ा है। मंदिर की महंत दिव्या गिरि ने बताया कि सर्दियों में 5:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। इसके बाद दोपहर 3:30 बजे से रात 10:30 बजे तक कपाट खुलते हैं। गर्मियों में कपाट सुबह 5 बजे खुल जाते हैं। बाकी का शेड्यूल उसी हिसाब से आधे घंटे से आगे पीछे रहता है।
सुबह सात बजे मां के होंगे दर्शन शहर के 156 साल पुराने काली बाड़ी मंदिर में सर्दियों में मां के दर्शन सुबह 7 बजे होंगे। इसके बाद मंदिर के कपाट शाम 5 से रात 9 बजे तक खुले रहेंगे। गर्मियों में आधे घंटे के समय का अंतर रहता है। शनिवार के समय में फेरबदल रहता है। जाड़े में भी भक्तों की ओर से माता को गर्म व ऊनी वस्त्रों का श्रृंगार होता है।