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बसपा की दलित राजनीति के लिए खतरादिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में संत रविदास के मंदिर को ध्वस्त किये जाने के मामले में जिस तरह से भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर के नेतृत्व में दलितों ने विराट प्रदर्शन किया, उन्हें बसपा की दलित राजनीति के लिए खतरा बताया जा रहा है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह इतना आसान नहीं होगा। मायावती ने लंबे राजनीतिक करियर में दलितों के बीच जो पैठ बनाई है, उसे हिला पाना इतना आसान नहीं होगा। हालांकि, चंद्रशेखर के राजनीतिक उभार ने बसपा प्रमुख को चिंतित जरूर कर दिया है।
कांशीराम के बाद बसपा पर नियंत्रण के लिए मायावती को बहुत कुछ करना पड़ा। उन्होंने बसपा में कभी दूसरी पांत का कोई नेता नहीं तैयार होने दिया। जिस भी नेता का पार्टी में कद बड़ा होता गया। वह पार्टी से बाहर होता रहा। इनमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, स्वामी प्रसाद मौर्य, जुगुल किशोर और आरके चौधरी जैसे कई प्रमुख नाम हैं। अब चंद्रशेखर न केवल दलितों के बीच सक्रिय हैं, बल्कि मायावती पर निशाना साधते हुए उन्हें कांशीराम की विरासत और बहुजन समाज आंदोलन के खिलाफ बता रहे हैं। चंद्रशेखर यूपी में दलितों का नया तारणहार बनने की कोशिश कर रहे हैं।
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भीम आर्मी पर कांग्रेस की भी नजरभीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर जहां मायावती के गले की फांस बने हुए हैं, वहीं कांग्रेस उनके जरिये यूपी में अपना खोया जनाधार पाने की जुगत में है। हालांकि, कांग्रेस की तरफ से इस ओर कोई बड़ी पहल नहीं की गई, लेकिन इसी वर्ष मार्च में जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चंद्रशेखर से मिलने मेरठ के अस्पताल में गईं तो तमाम अटकलें शुरू हो गई थीं। उस वक्त प्रियंका ने चंद्रशेखर की तारीफ करते हुए कहा था कि इस मुलाकात के कोई राजनीतिक मायने नहीं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी चंद्रशेखर के जरिये खोये दलित जनाधार को हासिल करने का प्रयास कर सकती है। इस खतरे को मायावती बखूबी समझती हैं, इसीलिए जब प्रियंका चंद्रेशेखर से मिलीं तो मायावती ने जमकर निशाना साधा था।
अभी तक भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर कभी भी सार्वजनिक मंचों से मायावती की आलोचना नहीं करते थे, बल्कि उन्हें बुआ कहा करते थे। हालांकि, बदले में मायावती ने हमेशा उन्हें झिड़का ही। कहा कि वह किसी की बुआ नहीं हैं और न ही कोई उनका भतीजा है। लोकसभा चुनाव के बाद चंद्रशेखर के सुर माायवती के खिलाफ बदलने लगे। उन पर सपा से बेवजह गठबंधन तोड़ने और परिजनों को पार्टी में आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। इतना ही भीम आर्मी के प्रमुख ने कहा कि मायावती अंबेडकर और बहुजन समाज आंदोलन से भटक गई हैं। दलितों के हितों को लेकर चंद्रशेखर सावधानी से मायावती पर निशाना साध रहे हैं।
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भीम आर्मी प्रमुख की बढ़ती महात्वाकांक्षाबीते दिनों मे जिस तरह से भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर का राजनीतिक उभार हुआ है, वैसे ही उनकी महात्वाकांक्षा भी बढ़ गई है। इससे कतई इनकार नहीं किया जा सकता है। मायावती को हमेशा बहनजी कहकर संबोधित करने वाले चंद्रशेखर अब खुलकर विरोध कर रहे हैं। दिल्ली में दलितों के विराट प्रदर्शन की उन्होंने जिस तरह से अगुआई की है, भविष्य के चुनाव में वह मायावती के दलितों वोटबैंक में सेंधमारी कर सकते हैं। हालांकि, संसाधनों और संगठनात्मक पहुंच की कमी के चलते यह कर पाना इतना आसान नहीं होगा। बावजूद, मायावती उनकी बढ़ती महात्वाकांक्षा से आने वाले खतरे के प्रति सजग हैं।