रात में 38 किमी पैदल चली थी रेस्क्यू टीम
सीईसी राजीव कुमार ने खत के के माध्यम से कहा कि आपात लैंडिंग के बाद जहां रुके थे, वहां रालम के शीतकालीन प्रवास पातौं गांव से ईश्वर सिंह नबियाल, सुरेंद्र कुमार और भूपेन्द्र सिंह ढकरियाल भारी बारिश, खराब सड़क और बेहद कठिनाइयों के बावजूद 38 किमी से अधिक की दूरी तय कर रात एक बजे वहां पहुंचे थे। ये लोग जीवन रक्षक व खाद्य सामग्री लेकर पहुंचे थे और उनके साथ एक श्वान भी था। इस क्षण को याद करते हुए सीईसी ने कहा है कि एक कहावत है कि ‘डूबते को तिनके का सहारा, हम सबके साथ यह कहावत उस समय चरितार्थ हुई जब यह तीन सदस्यीय दल देवदूत बनकर रालम पहुंचा। ये भी पढ़ें:-
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सीईसी कुमार ने उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और आईटीबीपी के महानिदेशक को पत्र लिखकर मदद करने वाले ग्रामीणों, सरकारी कर्मचारियों का अभार जताया है। सीईसी ने अपने खत में लिखा है ‘सभी युवा देवदूतों ने मानवता के उच्च आदर्शों का पर्याय बनते हुए हम सब की जीवन रक्षा के लिए इस दिन को अविस्मरणीय यादों में अलंकृत कर दिया। आपदा प्रबंधन में स्थानीय लोगों की भागीदारी की इस मिसाल को फर्स्ट रेस्पोंडर की पॉलिसी को प्रशासन सशक्त रूप से अपनायेगा। कहा कि स्थानीय लोगों को प्रेरित एवं सम्मानित करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। राजीव कुमार ने सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त किया है।