सर्वे में हुआ खुलासा जिन लोगों को ऐसा अनुभव हुआ है, उनमें से 28 फीसदी ने कहा कि यह अक्सर होता है, 19 फीसदी ने कहा कि यह कई बार हुआ और 6 प्रतिशत ने कहा कि यह केवल कुछ ही बार हुआ है। केवल 24 फीसद लोगों ने दावा किया कि ऐसा कभी नहीं हुआ, जबकि 23 फीसदी के पास कोई जवाब नहीं थी। लोकल सर्किल के संस्थापक सचिन टापरिया ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग अपने निजी फोन पर बातचीत के बाद इससे जुड़े विज्ञापनों को देखने का मुद्दा उठा रहे हैं। यह बेहद चिंताजनक है। कहना है कि ऐसे तरीकों की समीक्षा की जानी चाहिए।
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छह साल के बेटे से पिता ने साइन कराया एग्रीमेंट, इतनी बड़ी-बड़ी रख दी शर्तें लोगों की क्या है गलती सर्वे में ऐसा पाया गया है कि अधिकतर भारतीय यूजर्स थर्ड पार्टी ऑडियों रिकॉर्डिंग ऐप्स वीडियो-ऑडियो कॉलिंग ऐप्स और सोशल मीडिया ऐप्स को अपने फोन के माइक का एक्सेस दिए रहते हैं। लगभग 84 प्रतिशत स्मार्टफोन यूजर्स ने व्हाट्सएप को अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट, 51 फीसदी ने फेसबुक या इंस्टाग्राम और 41 फीसदी ने ट्रूकॉलर जैसे कॉलर आईडी ऐप्स को एक्सेस दिए रहने की बात स्वीकार की है। फोन कॉल पर कोई खास बात करने से पहले सतर्क रहने की जरूरत है।