अब गढ़ मंदिर जाने में बुजुर्गों को नहीं होगी तकलीफ, बच्चे भी उड़ेंगे हवा में
शहर के पुराने एवं आस्था के स्थल गढ़ मंदिर की पहाड़ी पर रोप-वे की योजना बनाई गई है। फिलहाल बड़े-बुजुर्ग, बीमार व नि:शक्त भक्तों के लिए मंदिर की 500 सीढि़यां चढऩा मुश्किल हो जाता है।
शहर के पुराने एवं आस्था के स्थल गढ़ मंदिर की पहाड़ी पर रोप-वे की योजना बनाई गई है। फिलहाल बड़े-बुजुर्ग, बीमार व नि:शक्त भक्तों के लिए मंदिर की 500 सीढि़यां चढऩा मुश्किल हो जाता है। ऐसेमें कई लोग मन में तमन्ना होते हुए भी मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इन भक्तों के लिए यह व्यवस्था करने की योजना ट्रस्ट की ओर से बनाई गई है। जिस पर करीब 3 करोड़ रुपए व्यय होंगे। नगर परिषद के साथ ही भक्तों से भी इसके लिए मदद ली जाएगी। रोप-वे के लिए जमीन आरक्षित कर ली गई है। यहां चारदीवारी व पार्किंग स्थल प्रस्तावित किया गया है।
शहर का गढ़ मंदिर पहाडिय़ों पर करीब 400 फीट की ऊंचाई पर है। मन्दिर कई वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए शक्तिपीठ के रूप में माना जाना जाता है। नवरात्र के दौरान सुबह 4 से रात 11 बजे तक देवी के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है और प्रतिदिन यहां दर्शनार्थ बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। मंदिर में दर्शन के लिए करीब 500 सीढि़यां चढऩा पड़ता है।
इनके लिए परेशानी
बुजुर्ग, बीमार, नि:शक्तों के लिए यह सीढि़यां चढऩा मुश्किल हो जाता है। छोटे बच्चों को भी 500 सीढि़यों तक ले जाना महिलाओं के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इन्हें दर्शनार्थ रोप-वे के सहारे ट्रॉली लगाकर पहुंचाया जा सकता है।
पहली सीढ़ी छूकर चले जाते हैं
नवरात्र के दौरान शहर के हजारों श्रद्धालु है जो जीवन पर्यन्त इस मंदिर में दर्शनार्थ गए हैं, लेकिन अब उनके मंदिर चढऩे की क्षमता नहीं रही, ऐसे में वे पहली सीढ़ी को छूकर ही लौट जाते हैं। ऐसे श्रद्धालुओं के लिए रोप-वे जरूरी हो गया है।
सोन तालाब के निकट जमीन आरक्षित
पहाडि़यों के पास स्थित सोन तालाब के निकट रोप-वे योजना को लेकर जमीन आरक्षित कर मैदान बनाया गया है। वहीं पार्र्किंग स्थल बनाकर चारों तरफ दीवार बनाई गई है। यहां से रोप-वे लगाने की कवायद की जा रही है।
मंदिर का होगा सौन्दर्यीकरण
मन्दिर की ऊंचाई को देखते हुए रोप-वे योजना तैयार की है, लेकिन अभी अधिक बजट की जरूरत है। प्रशासन व दानदाताओं का सहयोग लेकर इसे आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
– रावत त्रिभुवनसिंह
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