यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष की जिस कुर्सी से लिए मचा है सियासी घमासान, जानें- कितनी है सैलरी और क्या है उसका पावर
जिला पंचायत अध्यक्ष जिले का सर्वेसर्वा होता है, चुनाव में उसकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में हर दल की ख्वाहिश जिलों की कुर्सी पर अपना प्रतिनिधि बिठाने की है। इसे लेकर जोड़-तोड़ जारी है। तीन जुलाई को मतदान के साथ ही विजेताओं के नाम घोषित किये जाएंगे। लेकिन, 17 उम्मीदवारों के निर्विरोध निर्वाचन के बाद बीजेपी ने अभी से जीत एलान कर दिया है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए लिखा, पंचायत चुनाव में भाजपा की जीत से साबित हुआ सपा के दावे खोखले हैं। वहीं, विपक्षी दल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी पर मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं।
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जीत के दावे पर बीजेपी सांसद ने उठाये सवाल
भाजपा भले ही ज्यादा जिला पंचायत अध्यक्ष जितवा ले, लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वह सपा से उन्नीस ही साबित हुई है। 75 जिलों में 3052 जिला पंचायत सदस्य चुने गये। इनमें से सपा समर्थित 747, बीजेपी समर्थित 690 और बसपा समर्थित 381 कैंडिडेट जीते। हालांकि, बीजेपी कई जीते निर्दलीयों को पार्टी समर्थित होने की बात कहते हुए 981 सीटों पर जीत का दावा करती है। विपक्ष के अलावा भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इस दावे पर सवाल उठाये। 6 मई को स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा, यूपी विधानसभा की 403 सीटों में से विधायकों की 46 सीटें पूरी तरह शहरी हैं, जहां कोई चुनाव नहीं हुए। ग्रामीण क्षेत्रों की 357 सीटों पर चुनाव हुए। इनमें सपा ने 243 और बीजेपी ने 67 पर जीत हासिल की। 47 सीटें अन्य के खाते में गईं। अगर मैं गलत हूं तो कृपया सुधार करें।
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नतीजों ने बीजेपी में मचाई उथल-पुथल
यूपी पंचायत चुनाव के नतीजों ने बीजेपी खेमे में खलबली मचा दी। नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं आम होने लगीं। लखनऊ से दिल्ली तक रोजाना बीजेपी आलाकमान की मीटिंग्स शुरू हो गईं। लेकिन, पंचायत अध्यक्ष चुनाव आते-आते स्थितियां तेजी से बदल रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्र केशव प्रसाद मौर्य साथ-साथ दिखने लगे हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता दावा कर रहे हैं कि 2022 का विधानसभा चुनाव योगी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। और अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद के 21 उम्मीदवारों के निर्विरोध निर्वाचन को बीजेपी बड़ी जीत करार दे रही है।