उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता की दहलीज पर तक पहुंचाने के लिए प्रियंका गांधी हर संभव प्रयास कर रही हैं। प्रियंका गांधी की वजह से यूपी की योगी सरकार को एक नहीं कई बार सक्रिय होना पड़ा। चाहे वह सोनभद्र का मामला रहा हो या फिर चिन्मयानंद केस, उन्नाव के कुलदीप सिंह सेंगर और बिजली विभाग में बिजली दरों की वृद्धि या पीएफ घोटाला सभी पर सरकार की नाक में दम कर दिया था। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यूपी में जितनी मेहनत प्रियंका गांधी कर रही हैं, उतनी मेहनत अगर कांग्रेसी नेता कर लें तो यूपी में कांग्रेस को मजबूत होने से कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन, समस्या यह है कि प्रियंका गांधी जब आती हैं तो पीसीसी दफ्तर कांग्रेसियों से भरा रहता है, लेकिन जैसे ही वह वापस जाती हैं, फिर सन्नाटा पसर जाता है।
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इन्हें किया निष्कासित
पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व एमएलसी सिराज मेंहदी, पूर्व गृहमंत्री रामकृष्ण द्विवेदी, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, एआइसीसी सदस्य राजेन्द्र सिंह सोलंकी, पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र, पूर्व विधायक विनोद चौधरी, पूर्व विधायक नेकचन्द्र पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष युवा कांग्रेस स्वयं प्रकाश गोस्वामी और पूर्व जिलाध्यक्ष गोरखपुर संजीव सिंह।
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