लड़ाई सीट से नहीं खास तबके से है आशीष पटेल ने कहा कि जिन्होंने मजबूती से 2014 और 2017 की सरकार बनाने में अपना पूरा योगदान दिया, वे निराश हो रहे हैं। आशीष पटेल ने एन डी ए से नाराजगी जताई। पिछड़ा और दलित वर्ग को सम्मान न मिलने पर उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई सीट से नहीं बल्कि खास तबके से है। उन्होंने कहा कि सहयोगियों के उपेक्षा से 2019 का चुनाव गड़बड़ा सकता है। सपा-बसपा गठबंधन को भाजपा के लिए चुनौती बताया और कहा कि बीजेपी को अपने सहयोगियों का सम्मान करना चाहिए।
50 फीसदी दलित और पिछड़ों की हो तैनाती दलित और पिछड़ा वर्ग की कम तैनाती पर आशीष पटेल ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने सरकार से प्रेदश के सभी जिलों के थानों में 50 फीसदी दलित और पिछड़ों की तैनाती की मांग की थी। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वहीं आरक्षण पर बंटवारे की बात पर कहा कि बंटवारा होना तो चाहिए लेकिन जातिगत जनगणना के आधार पर होना चाहिए।
संवर्ण आरक्षण सिर्फ चुनावी जुमला कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने आरक्षण को चुनावी जुमला बताया है। उनका कहना है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की व्यवस्था कहीं नहीं है, तो ऐसे में कहां से मिलेगा आरक्षण। भाजपा ने वादा पिछड़ी जाति के 27 फीसदी आरक्षण बंटवारे का वादा कर कहा था कि इसे चुनाव के 6 महीने पहले लागू करेंगे। लेकिन चुनाव में महज 100 दिन रह गए हैं मगर अब तक सूचना जारी नहीं हुई।
विभाजन पर भाजपा को चेतावनी ओम प्रकाश राजभर ने विभाजन पर भाजपा को चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर 100 दिनों के भीतर विभाजन की घोषणा नहीं हुई, तो उनके रास्ते अलग भी हो सकते हैं।
अनुप्रिया की पार्टी को बताया क्लोन आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी की सियासत तेजी से करवट बदल रही है। एक तरह सपा-बसपा गठबंधन की चर्चा है, को वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) और सुभासपा के बीच भी 2019 चुनाव को लेकर मंथन जारी है। हालांकि, बीजेपी से गठबंधन पर अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने कहा है कि जो अपना दल की विचार धारा को मानेगा, उसी के साथ गठबंधन तय होगा। सम्मानजनक सीटें मिलेंगी तो बीजेपी के साथ गठबंधन हो सकता है। वहीं अगर बात नहीं बनी, तो यूपी में अपना दल 30 से 35 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारेगी। वहीं अनुप्रिया पटेल पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें को आर्थिक कदाचार में लिप्त पाए जाने के कारण पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 2015 में निष्कासित कर दिया गया था। अपना दल से कई लोग अलग हुए व अपनी नई पार्टी बनाई। ये सभी अपना दल के क्लोन हैं।