इंजीनियरिंग में भी लड़कियां आगे
समारोह के दौरान कुलाधिपति राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि 60 फीसदी से अधिक मेडल पर छात्राओं का कब्जा है। इससे स्पष्ट है कि इंजीनियरिंग व प्रबंधन के क्षेत्र में भी लड़कियां आगे निकल रही हैं। यूनिवर्सिटी के 16वें दीक्षांत समारोह में पूर्वी सीएसआईआर हेड व पद्म विभूषण वैज्ञानिक रघुनाथ माशेलकर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। मंच पर प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन, कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक समेत विवि के डीन, विभागध्यक्ष व शिक्षक मौजूद रहे।
67 मेधावियों को मिले पदक दीक्षांत समारोह में यूनिवर्सिटी से संबद्ध प्रदेश के सभी छह सौ संस्थानों के छात्र-छात्रों ने हिस्सा लिया। यहां के 67 मेधावियों को स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक देकर सम्मानित किया गया। इसमें एक मेधावी को कुलपति पदक से नवाजा गया। वहीं कुल 61 हजार 690 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गई। इसके अलावा 59 शोधार्थियों को भी उपाधि प्राप्त हुई।
डॉ.कलाम को मानता हूं गुरू मुख्य अतिथि वैज्ञानिक रघुनाथ माशेलकर ने बताया कि वह डॉ.कलाम को अपना गुरू मानते थे। उन्हीं के नाम पर ही ये यूनिवर्सिटी है। डॉ. माशेलकर ने कहा कि जब उन्होंने इंजीनियिंग की थी तब में और आज के जमाने में बहुत फर्क है। इन दिनों देश में स्टार्ट-अप ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि भारत फास्टेस्ट ग्रोइंग स्टार्ट-अप के मामले में तीसरे नंबर पर है। उनके मुताबिक ये ट्रेंड बहुत तेजी से बढ़ रही है। उनके मुताबिक, अब विदेश में नौकरी करने के लिए जाने का ट्रेंड घटा है।अब बच्चे भारत मे ही अपना गूगल और माइक्रोसॉफ्ट बनाने के प्रयास में रहते हैं।
दीक्षांत समारोह में विवि के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने विवि की एक वर्ष का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विवि नवाचारों में आगे बढ़ा है| विवि के छात्र-छात्राएं मार्स मिशन जैसे अभियान में अपने नवाचारों के माध्यम से सहभागिता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी गुणवत्तापरक तकनीकी शिक्षा की सुनिश्चितता के लिए सफल प्रयास करता रहेगा।
सरकारी नौकरी समय की मांग सिविल इंजीनियरिंग में टॉप करने वाले उत्कर्ष मिश्रा ने बताया कि उनका प्लेसमेंट एक कंपनी में हुआ लेकिन पैकेज कम होने के कारण उन्होंने वहां जॉइन नहीं किया। वह इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज (आईईएस) की तैयारी कर रहे हैं। उनके मुताबिक सरकार नौकरी ज्यादा सुरक्षित है। इसमें मंदी का असर भी नहीं पड़ता।दीक्षांत समारोह में कानपुर की प्रीति गुप्ता को कुलपति पदक से नवाजा गया। प्रीति ने बताया कि उनके परिवार में कई इंजीनियर हैं। यही कारण है कि उन्होंने बीटेक की पढ़ाई की लेकिन वह आगे चलकर जॉब की बजाए अकेडमिक्स में जाना चाती हैं।
पिता हैं किसान, बेटे ने किया कमाल इस बार एकेटीयू में किसानों के बेटों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई में अव्वल दर्जा हासिल किया। एक ने रजत तो दूसरे ने कास्य पदक प्राप्त किया। बहराइच के रहने वाले प्रिंस बाबू मिश्रा ने बीटेक सिविल इंजीनियरिंग में रजत पदक हासिल किया है। प्रिंस के पिता सुरेश चंद्र किसान हैं। वह खेती के साथ एक टेंट की भी दुकान करते हैं। प्रिंस ने बताया कि आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से पढ़ाई में काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन उसने लगन से अपना काम किया और मुकाम पाया है। प्रिंस भविष्य में आईएएस बनना चाहते हैं, जिसकी तैयारी वह कर रहे हैं।
किसानों के लिए कुछ करने का संकल्प सीतापुर के मिश्रिख निवासी सुशांत मिश्रा ने भी कमाल करके दिखाया है। सुशांत को कास्य पदक मिला है। उन्होंने बीटेक एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी की है। उनके पिता राजपाल मिश्रा पेशे से किसान हैं और मां सरोजनी मिश्रा गृहणी है। सुशांत बताते हैं कि उनके पूरे घर का खर्च कृषि पर ही निर्भर है। हालांकि उन्होंने हाल में कृषि मित्र में नौकरी शुरू की है। सुशांत का कहना है कि भविष्य में खेती को आधुनिक तकनीकियों से जोड़कर उसमें बदलाव करना चाहते हैं। जिससे किसानों की आय बढ़ सके।