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लखनऊ

नेताजी के जाने से गम में डूबे अखिलेश यादव, Tweet कर बोले- ‘पहली बार लगा बिन सूरज उगा सवेरा’

मुलायम सिंह यादव के निधन से अखिलेश यादव अकेले पड़ गए हैं। उन्होंने बेहद ही भावुक कर देने वाला ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि आज पहली बार लगा… बिन सूरज के उगा सवेरा।
 

लखनऊOct 12, 2022 / 11:33 am

Jyoti Singh

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Akhilesh Yadav tweet after the death of Mulayam Singh Yadav

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital, Gurugram) में निधन हो गया था। मंगलवार को सैफई के मेला ग्राउंड में पूरे राजकीय सम्मान के साथ सपा संरक्षक का अंतिम संस्कार किया गया। नेताजी के जाने से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अकेले पड़ गए हैं। आज उन्होंने बहुत ही भावुक कर देने वाला ट्वीट करते हुए अपने पिता के जाने का दुख जताया है। अखिलेश ने अपने ट्वीट में लिखा है कि ‘आज पहली बार लगा… बिन सूरज के उगा सवेरा’ इस दौरान उनकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं, पहली तस्वीर में वह नेताजी की अस्थियां चुनने के लिए अकेले खड़े हैं और बेहद भावुक दिख रहे हैं। जबकि दूसरी तस्वीर में उनके साथ ही कुछ सपा समर्थक भी नजर आ रहे हैं।
https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1580065187637317633?ref_src=twsrc%5Etfw
शिवपाल यादव ने कही ये बात

वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) भी अपने बड़े भाई के जाने से काफी भावुक दिखे। उन्होंने दुख जताते हुए कहा, “नेताजी हमारे पिता समाने थे। बचपन से लेकर अब तक जितनी भी सेवा कर सकते थे, हमने उनकी सेवा की है। आज हमारे मन का संसार सिकुड़-सिकुड़ा सा लगता है। नेताजी ने पिछड़े, दलित, शोषित और अल्पसंख्यकों को ऊपर ले जाना का काम किया है लेकिन वो आज हमारे बीच नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि “नेताजी के पास जो भी आया है, जिसने भी उनके साथ काम किया है। उन्होंने कभी भी उनको नाराज नहीं किया है। हमने भी जीवन में उसी रास्ते पर चलने का प्रयास किया है और आगे भी करेंगे। उनकी जो विचार धारा थी हम उसी पर चलने का प्रयास करेंगे।”
अखिलेश यादव से बढ़ीं उम्मीदें

गौरतलब है कि नेताजी के निधन के बाद अखिलेश यादव व्यक्तिगत तौर पर ही नहीं बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी अकेले पड़ गए हैं। इसके साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की उनसे अपेक्षा अधिक बढ़ गई है। ऐसे में उन पर यादव कुनबे को एकजुट रखने के साथ-साथ सपा के सियासी आधार और मुलायम के एम-वाई समीकरण को साधे रखने की चुनौती होगी। इतना ही नहीं मुलायम की मैनपुरी सीट पर नेताजी के सियासी वारिस को भी तलाशना होगा। मुलायम सिंह यादव अपने जीते ही अपनी सियासी विरासत को अखिलेश यादव के हवाले कर गए, लेकिन अब आने वाले वक्त में अखिलेश को कई बड़े और कड़े इम्तिहान से गुजरना होगा।

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