शिवपाल यादव ने कही ये बात वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) भी अपने बड़े भाई के जाने से काफी भावुक दिखे। उन्होंने दुख जताते हुए कहा, “नेताजी हमारे पिता समाने थे। बचपन से लेकर अब तक जितनी भी सेवा कर सकते थे, हमने उनकी सेवा की है। आज हमारे मन का संसार सिकुड़-सिकुड़ा सा लगता है। नेताजी ने पिछड़े, दलित, शोषित और अल्पसंख्यकों को ऊपर ले जाना का काम किया है लेकिन वो आज हमारे बीच नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि “नेताजी के पास जो भी आया है, जिसने भी उनके साथ काम किया है। उन्होंने कभी भी उनको नाराज नहीं किया है। हमने भी जीवन में उसी रास्ते पर चलने का प्रयास किया है और आगे भी करेंगे। उनकी जो विचार धारा थी हम उसी पर चलने का प्रयास करेंगे।”
अखिलेश यादव से बढ़ीं उम्मीदें गौरतलब है कि नेताजी के निधन के बाद अखिलेश यादव व्यक्तिगत तौर पर ही नहीं बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी अकेले पड़ गए हैं। इसके साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की उनसे अपेक्षा अधिक बढ़ गई है। ऐसे में उन पर यादव कुनबे को एकजुट रखने के साथ-साथ सपा के सियासी आधार और मुलायम के एम-वाई समीकरण को साधे रखने की चुनौती होगी। इतना ही नहीं मुलायम की मैनपुरी सीट पर नेताजी के सियासी वारिस को भी तलाशना होगा। मुलायम सिंह यादव अपने जीते ही अपनी सियासी विरासत को अखिलेश यादव के हवाले कर गए, लेकिन अब आने वाले वक्त में अखिलेश को कई बड़े और कड़े इम्तिहान से गुजरना होगा।