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क्या वाकई योगी को हरा देगी चाचा-भतीजे की जोड़ी?

– Shivpal Singh Yadav और अखिलेश यादव जोड़ी फिर सुर्खियों में- शिपपाल की ‘चाबी’ से खुलेगा Akhilesh Yadav की ‘साइकिल’ का ताला- Samajwadi Party में जल्द हो सकती है शिवपाल की वापसी – वर्ष 2017 में जुदा हुई थी चाचा-भतीजे की राह

लखनऊJun 11, 2020 / 08:35 pm

Hariom Dwivedi

क्या वाकई योगी को हरा देगी चाचा-भतीजे की जोड़ी?

मुलायम परिवार में एका के समर्थकों को उम्मीद है कि चाचा-भतीजे मिलकर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा सकते हैं।

लखनऊ. चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) से दूरी के बाद से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का कोई भी दांव निशाने पर नहीं लगा। 2017 के विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav 2017) में कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। निकाय चुनाओं में भी सपा औंधे मुंह गिरी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2019) में पुरानी अदावत को भुलाकर बसपा (Bahujan Samaj Party) से हाथ मिलाने का सपा प्रमुख का दांव भी खाली चला गया। उधर, भतीजे से अलग होकर चाचा ने भी कई हाथ-पांव मारे, लेकिन उनके भी इरादे परवान न चढ़ सके। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की पहल के बाद यूपी में अब एक बार फिर से चाचा-भतीजे की जोड़ी सुर्खियों में है। अटकलें हैं जल्द ही दोनों साथ-साथ होंगे। आगामी पंचायत चुनाव (Panchaya Chunav 2020) और विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav 2020) में ‘साइकिल’ का ताला खोलने में ‘चाबी’ की अहम भूमिका हो सकती है। परिवार में एका के समर्थकों को उम्मीद है कि चाचा-भतीजे मिलकर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा सकते हैं।
हाल ही में अखिलेश यादव ने ‘बागी’ चाचा की सदस्यता खारिज करने की याचिका वापस ली तो शिवपाल ने भी पत्र लिखकर भतीजे का आभार जताते हुए उन्हें यूपी का श्रेष्ठ विकल्प करार दिया। कहा कि निश्चय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं है, बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट, सार्थक व सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का जन्म होगा। गौरतलब है कि सपा के नेता सदन रामगोविंद चौधरी ने 04 सितंबर, 2019 को दल-बदल कानून के तहत शिवपाल की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी, जिसे 23 मार्च को वापस ले लिया गया। इस दौरान रामगोविंद चौधरी ने स्पष्ट कहा था कि शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी होगी।
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मुलायम सिंह यादव बने सूत्रधार
सपा सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह यादव के कहने पर ही अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल से एडजेस्टमेंट को तैयार हुए हैं। इसकी शुरुआत सैफई से हो चुकी थी। जब होली पर पूरा कुनबा एक साथ इकट्ठा हुआ था। मुलायम, अखिलेश और रामगोपाल पहले ही मंच पर बैठे थे। शिवपाल भी पहुंचे और मुलायम सिंह यादव के पैर छूकर वह आगे बढ़ ही रहे थेकि अखिलेश ने गर्मजोशी से शिवपाल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। हालांकि, उस वक्त कार्यकर्ताओं की नारेबाजी की वजह अखिलेश थोड़ा नाराज जरूर हो गये थे। बीते दिनों लॉकडाउन में तबियत खराब होने के चलते मुलायम को कई बार अस्पताल में एडमिट होना पड़ा। शिवपाल हर वक्त उनके साये की तरह साथ रहे। इस बीच मुलायम सिंह यादव भाई शिवपाल और बेटे अखिलेश के रिश्तों पर जमीं बर्फ को पिघलाने की कोशिश करते रहे, जिसके बाद अखिलेश ने केवल चाचा की विधायकी खत्म करने वाली याचिका वापस ली, बल्कि कहा कि जसवंत नगर विधानसभा सीट पर उनके साथ ‘एडजस्टमेंट’ हो सकता है। वैसे भी सपा एक ही पार्टी है।

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