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लखनऊ

अखिलेश यादव के इस प्लान ने शिवपाल के सभी अरमानों पर फेरा पानी!

मुलायम सिंह यादव के सम्मान के बहाने परिवार में एकता की वकालत करने वाले शिवपाल यादव का हर दांव फेल होता दिख रहा है

लखनऊNov 24, 2019 / 03:33 pm

Hariom Dwivedi

Akhilesh Yadav

अखिलेश यादव से लंबी अनबन के बाद अब वह किसी भी कीमत पर सपा में वापसी को बेताब हैं, लेकिन बात नहीं बन रही

लखनऊ. मुलायम सिंह यादव के सम्मान के बहाने परिवार में एकता की वकालत करने वाले शिवपाल यादव का हर दांव फेल होता दिख रहा है। अखिलेश यादव से लंबी अनबन के बाद अब वह किसी भी कीमत पर सपा में वापसी को बेताब हैं, लेकिन बात नहीं बन रही। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से शिवपाल के किसी भी बयान पर कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। मुलायम सिंह यादव का गुणगान करते हुए शिवपाल ने कई बार भतीजे को बुरा-भला कहा। सुलह-समझौते के प्रयास किये गये। अब वह पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा भी मान रहे हैं। बिना शर्त सपा से गठबंधन को तैयार हैं, लेकिन अखिलेश की चुप्पी उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रही है। अखिलेश चाचा शिवपाल की किसी बुरी-भली बात पर कोई टिप्प्णी नहीं करते। और तो और चाचा को लेकर पूछे गये पत्रकारों के सवालों का भी वह जवाब देते हैं, लेकिन मजाल कि शिवपाल का नाम उनकी जुबां पर आ जाये।
भतीजे से लंबी अनबन के बाद मुलायम के जन्मदिन के बहाने शिवपाल ने एक बार फिर से पारिवारिक एकता की वकालत की थी। प्रदेश भर में एकता दिवस के रूप में मुलायम का जन्मदिन मना रहे शिवपाल ने दावा किया था कि इस दिन पूरा कुनबा एक होगा, लेकिन उन्हें करारा झटका तब लगा, जब समारोह में मुलायम परिवार का कोई भी सदस्य नहीं आया। कार्यक्रम में शिवपाल और उनके सुपुत्र आदित्य यादव अंकुर पार्टी के चंद लोग जुटे। हालत देख शिवपाल भावुक हो गये। उन्होंने कहा सब कहें तो मैं सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने को तैयार हूं। इस पर भी अखिलेश की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
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क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तक तो सब ठीक था, लेकिन चुनावी नतीजों ने शिवपाल को बैकफुट पर धकेल दिया। इस चुनाव में शिवपाल की पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी। अब उनके सामने राजनीतिक वजूद बचाने का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में उन्हें फिर से पारिवारिक एकता की याद आ रही है। नाम न छापने की शर्त पर समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि शिवपाल यादव की बगावत से पार्टी को जितना नुकसान होना था, हो चुका है। अब हर जिले में सपाइयों का नए सिरे से संगठन खड़ा हो रहा है। शिवपाल के साथ आने से राहें आसान नहीं होंगी, बल्कि एक बार फिर सामंजस्य बिठाने में मुश्किलें होंगी।

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