चाचा शिवपाल के लिए जरूरी है घर वापसी, सामने हैं यह मुश्किलें
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तक तो सब ठीक था, लेकिन चुनावी नतीजों ने शिवपाल को बैकफुट पर धकेल दिया। इस चुनाव में शिवपाल की पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी। अब उनके सामने राजनीतिक वजूद बचाने का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में उन्हें फिर से पारिवारिक एकता की याद आ रही है। नाम न छापने की शर्त पर समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि शिवपाल यादव की बगावत से पार्टी को जितना नुकसान होना था, हो चुका है। अब हर जिले में सपाइयों का नए सिरे से संगठन खड़ा हो रहा है। शिवपाल के साथ आने से राहें आसान नहीं होंगी, बल्कि एक बार फिर सामंजस्य बिठाने में मुश्किलें होंगी।