यूपी में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटे सभी दल, यह है सपा-बसपा, बीजेपी और कांग्रेस का प्लान
परिवार में एका टेढ़ी खीर
2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले समाजवादी पार्टी में मची पारिवारिक कलह अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही है। जहां अब तक पार्टी के कई बड़े दिग्गज नेता दूसरे दलों का दलों थामन थाम चुके हैं, वहीं मुलायम सिंह यादव के संग कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी को खड़ा करने वाले चाचा शिवपाल अलग दल बनाकर भतीजे की ही मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। परिवार में कुछ और लोग नाराज बताये जा रहे हैं। अखिलेश के सामने प्रदेश में सपाइयों को एकजुट करने के साथ ही अपनों का समर्थन जुटा पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
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इस चुनौती से कैसे निपटेंगे अखिलेश
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के सामने विपक्षी दलों की मजूबत चुनौती है। इनमें भाजपा प्रमुख है। कोर हिंदुत्व के एजेंडे और विकास के दावों के साथ मजबूत संगठन लेकर आगे बढ़ रही बीजेपी को हराना सपा के लिए आसान नहीं होगा। मायावती और प्रियंका गांधी की अगुआई में बसपा और कांग्रेस यूपी में अपनी खोई प्रतिष्ठा पाने को छटपटा रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव को लक्ष्य कर यह दोनों ही दल यूपी में संगठन को नये सिरे से खड़ा कर रहे हैं। बीजेपी की तरह इनका भी फोकस अपने मूल वोटबैंक के साथ सपा के वोटर्स पर है। यूपी में अखिलेश यादव के लिए मजबूत विपक्ष से निपटना इतना सरल नहीं होगा।