यूपी पंचायत चुनाव- अखिलेश और शिवपाल के गठबंधन का कमाल, इटावा में टूटा बीजेपी की जीत का सपना
राजनीतिक विश्लेषकों मानें तो इटावा में जीत के बाद भले ही चाचा-भतीजे की जोड़ी फिर सुर्खियों में है, लेकिन दोनों का साथ आना इतना भी आसान नहीं है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद से अभी तक अखिलेश यादव ने शिवपाल को लेकर कोई बयान दिया है। पूर्व में भी उन्होंने कई बार एडजेस्टमेंट की बात कही है, जबकि चाचा शिवपाल गठबंधन पर अड़े हैं। जानकारों का कहना है कि परिवार की सहानुभूति हासिल करने के लिए शिवपाल ने इटावा में अभिषेक यादव का समर्थन किया है। सफलता के बाद अब शिवपाल समर्थक चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में सपा उन्हें सम्मानजनक सीटें दे।
इटावा जिला पंचायत में 32 वर्षों से समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। पंचायत चुनाव के नतीजों से स्पष्ट हो गया है यहां अगला अध्यक्ष भी सपा का ही होगा। बीजेपी ने यहां की सभी 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन शिवपाल-अखिलेश के अंदरूनी गठजोड़ के चलते बीजेपी यहां महज एक सीट ही जीत सकी।
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सत्ता की चाबी निर्दलीयों के पास
भाजपा और सपा दोनों का ही दावा है कि सबसे ज्यादा उनके ही जिलाध्यक्ष/ब्लॉक प्रमुख जीतेंगे। लेकिन यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि इस बार जिलों में सत्ता की चाबी निर्दलीयों के पास ही है और वह ही किंग मेकर बनेंगे। प्रदेश के करीब 60 जिले ऐसे हैं जहां निर्दलीय ही जिला पंचायत अध्यक्ष बनाएंगे। ऐसे में धनाढ्य उम्मीदवार तलाशे जा रहे हैं ताकि निर्दलीयों को हर तरह से साधकर अपने पाले में लाया जा सके। मतलब साफ है जो निर्दलीयों को साधने में कामयाब रहेगा, जिले की सत्ता उसी दल के पास होगी। इसके अलावा कई जिलों में छोटे दल भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।