scriptby-election:बदरीनाथ सीट गंवाने के बाद अब भाजपा के लिए केदारनाथ चुनौती, ताकत झोंकी | :After losing Badrinath seat now Kedarnath is a challenge for BJP | Patrika News
लखनऊ

by-election:बदरीनाथ सीट गंवाने के बाद अब भाजपा के लिए केदारनाथ चुनौती, ताकत झोंकी

Assembly by-election 2024:विधान सभा उपचुनाव का बिगुल बज गया है। उप चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा-कांग्रेस के दावेदारों की धड़कनें भी बढ़ गईं हैं। उत्तराखंड में बीते उपचुनाव में बदरीनाथ सहित दो सीटें हारने के बाद अब केदारनाथ का उपचुनाव बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि भाजपा ने जीत के लिए कमर कस ली है।

लखनऊOct 16, 2024 / 06:07 pm

Naveen Bhatt

By-election has been announced for Kedarnath Assembly seat

केदारनाथ विधान सभा सीट पर उप चुनाव की घोषणा हो गई है

Assembly by-election 2024:चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा कर दी है। उत्तराखंड में केदारनाथ सीट पर भी उप चुनाव होने हैं। इस सीट पर विधायक शैलारानी रावत का इसी साल नौ जुलाई को निधन हो गया था। तब से केदारनाथ विस सीट रिक्त चल रही है। करीब ढाई माह के इंतजार के बाद आज चुनाव आयोग ने उप चुनाव की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई है। केदारनाथ सीट पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी। चुनाव की घोषणा के साथ ही भाजपा-कांग्रेस के दावेदारों की धड़कनें तेज हो गई हैं। दोनों दल प्रत्याशी का चयन जल्द करने वाले हैं। ये सीट दोनों की दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। हालांकि पिछले रिकॉर्ड भाजपा को बल प्रदान कर रहे हैं, लेकिन इस सीट पर दोनों दलों के बीच दिलचस्प मुकाबला होने की संभावनाएं लोग जता रहे हैं।

बदरीनाथ सीट हार चुकी है भाजपा

बदरीनाथ और मंगलौर सीट पर कुछ माह पूर्व ही उपचुनाव हुए थे। बदरीनाथ सीट हॉट सीट मानी जा रही थी। भाजपा और कांग्रेस ने उस सीट पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन अंत में बदरीनाथ सीट पर भाजपा प्रत्याशी को पराजय का सामना करना पड़ा था। वहीं दूसरी ओर मंगलौर में भी भाजपा की हार हुई थी। उन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने परचम लहराया था। लिहाजा अब केदारनाथ उपचुनाव भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसी को देखते हुए भाजपा ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है। सीट पर जीत के लिए पांच मंत्री चुनाव में उतारे गए हैं।
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तीन बार जीती भाजपा

अलग राज्य निर्माण के बाद उत्तराखंड में वर्ष 2002 में पहली बार विस चुनाव हुए थे। तब, केदारनाथ विस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा से आशा नौटियाल विधायक चुनी गईं थी।  उसके बाद 2007 में भाजपा ने आशा पर ही विश्वास जताया और उन्हें प्रत्याशी बनाया, जबकि कांग्रेस ने कुंवर सिंह नेगी को मैदान में उतारा लेकिन वह जीत दर्ज नहीं कर सकी।
साल 2012 में भाजपा ने लगातार तीसरी बार आशा को प्रत्याशी बनाया था।  कांग्रेस ने एक बार फिर शैलारानी रावत को अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने पहली बार केदारनाथ विस में कांग्रेस का परचम लहराया था। शैलारानी अक्तूबर 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार से विद्रोह कर भाजपा में शामिल हो गईं थी।साल 2017 कांग्रेस से मनोज रावत पहली बार विस में पहुंचे थे। इस सीट पर भाजपा तीन बार जबकि कांग्रेस दो बार चुनाव जीत चुकी है।

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