यूपी विधान सभा, जहां प्रदेश भर का बजट पास किया जाता है उस भवन का 1.29 करोड़ और प्रदेश के आला अधिकारिओं का दफ्तर बापू भवन पर 3.7 करोड़ का हाउस टैक्स बकाया है। यह तो ऐसे सरकारी कार्यालय हैं जहां सरकार के मंत्री और शासन के आला अधिकारी बैठकें करते हैं। नगर निगम को शत प्रतिशत वसूली के आदेश बापू भवन स्थित नगर विकास विभाग से ही दिए जाते हैं।
जीएसटी के बाद नगर निगम के लिए हाउस टैक्स ही एक मात्र आय का स्त्रोत बचा है। टैक्स से मिलने वाली राशि के जरिए ही निगम कर्मचारियों को वेतन मिलता है। शासन की ओर से टैक्स वसूली के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष समाप्ति होने में चार महीने का समय है। जबकि दिसंबर में नवनिर्वाचित सदन के गठन के बाद वार्ड विकास प्राथमिकता निधि को लेकर दबाव बढ़ जाएगा। यही नहीं विकास कार्य शुरू किए जाने को लेकर भी बजट न होने पर मुश्किलें बढ़ जाएंगी। ऐसे में अपनी स्थिति मजबूर करने के लिए गृहकर बकाएदारों पर शिकंजा कसने की तैयारी निगम ने की है। ऐसे बकाएदारों को पहले टैक्स जमा करने की नोटिस भेजी जाएगी।
समय पर गृहकर का भुगतान न करने पर संबंधित विभागों का खाता सीज किया जासकता है। नगर निगम अपने अधिनियम के अंतर्गत टैक्स बकाएदारों से संपत्ति कर वसूली के लिए चल अचल संपित्त को कुर्क करने की कार्रवाई का अधिकार भी रखता है।
मंत्री आवासों पर बकाया हाउस टैक्स
उप मंत्री आवास, कालिदास मार्ग 10,62,703
ओल्ड स्पीकर हाउस, कालिदास मार्ग 3,00,124.57
न्यू मंत्री आवास, कालिदास मार्ग 3,90,507
ओल्ड मंत्री आवास, कालिदास मार्ग 3,46,214.62 राजनीतिक पार्टी कार्यालयों पर लाखों का बकाया भाजपा कार्यालय 61,45,912
समाजवादी पार्टी कार्यालय 29,31,987
लोकतांत्रिक कांग्रेस 27,29,004
राष्ट्रीय लोकदल 21,22,880
युवजन सपा कार्यालय 17,46,360
मकपा माक्र्स 9,91,828
वीवीआईपी गेस्ट हाउस 5,41,88,562
जवाहर भवन 4,91,90,113
इंदिरा भवन 4,04,05,428
बापू भवन 3,71,95,817
बहुखंडी मंत्री आवास 1,82,20,227
सचिवालय प्रथम 1,38,06,983
सचिवालय द्वितीय 1,37,18,928
विधान भवन 1,29,83,456
न्यू बहुखंडी मंत्री आवास 58,93,842
सचिवालय चतुर्थ तल 44,56,082