यूनीक आईडी जारी होते ही कोई भी किसी भी संपत्ति के भू-उपयोग की जानकारी ले सकेगा। मतलब मकान या प्लाट खरीदने से पहले ग्राहक एक क्लिक पर पता कर लेगा कि मकान या जमीन का भू-उपयोग क्या है। मसलन खरीदी जाने वाली जमीन आवासीय है या फिर एग्रीकल्चर, औद्योगिक, पार्क व अन्य सुविधाओं के लिए। अभी यूपी में आये दिन संपत्ति की धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं, जब कई प्रापर्टी डीलर्स व बिल्डर्स ग्राहकों को झांसे में रखते हुए लैंड यूज चेंज कराये बिना जमीन बेच देते हैं। और सीधे-साधे लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई जमीन खरीदने और बनवाने में लगा देते हैं। बाद में जब पता चलता है कि जिस जमीन पर उन्होंने निर्माण कराया है, उसका लैंड यूज आवासीय नहीं है। बाद में ऐसे निर्माण को अवैध मानते हुए जमींदोज कर दिया जाता है। यूनीक आईडी के बाद लोग खुद एक क्लिक के जरिए भू-उपयोग के बारे में जानकारी कर ठगी का शिकार होने से बच सकेंगे।
अभी होती है यह दिक्कत
नगर निगम लखनऊ के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि अभी प्रदेश के अलग-अलग निकायों का अलग-अलग कोड है। इसकी वजह से एक संपत्तियों की पहचान नहीं हो पाती है। अब यूनीक आईडी की व्यवस्था लागू होने से प्रदेश के किसी भी निकाय की संपत्ति की जानकारी कहीं से भी ली जा सकेगी।
ऐसा होगा यूनीक कोड
संपत्तिों का यूनीक कोड 17 अंकों का होगा। इनमें तीन से पांच अंक स्थानीय निकाय, छह से सात स्थानीय निकाय जोनल कोड, आठ से 10 अक स्थानीय निकाय वार्ड का कोड और 11 से 16 अंक संपत्ति का कोड होंगे। इसके अलावा संपत्तियों की श्रेणी के लिए अलग से अक्षर होंगे। जैसे, आर शब्द आवासीय संपत्ति के लिए, एम शब्द मिश्रित संपत्ति और एन शब्द अनावासीय संपत्ति के लिए होंगे।