एक ऑनलाइन सर्वे के अनुसार दुनिया भर में लगभग दो-तिहाई या 64 फीसदी श्रमिकों का कहना है कि वे अपने मानव प्रबंधक से अधिक एक रोबोट मैनेजर पर अधिक भरोसा करेंगे। सर्वे में चीन और भारत में, यह आंकड़ा लगभग 90 फीसदी तक पहुंच गया। रोबोट पर भरोसा करने वाले ये वे कर्मचारी हैं जिनकी प्रबंधनात्मक कार्य क्षमता औरों से बेहतर है और जो वर्कफ्लो प्रबंधन पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
एशिया में भी बीते एक दो दशकों से रोबोटिक्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। भारत में औद्योगिक रोबोटों की बिक्री में एक साल में 39 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि चीन ने 2020 तक दुनिया के सबसे स्वचालित राष्ट्रों में अपनी जगह बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसका कारण है कि चीन और भारत जैसे देशों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता उत्पादकता को बढ़ा रही है।
रोबोट एवं एआई तकनीक के कारण 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में 15 लाख करोड़ से ज्यादा (15.7 ट्रिलियन) का मुनाफा संभव है। नियमित कार्यों और प्रशासन को स्वचालित करने पर मानव कर्मचारी जटिल काम पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। जबकि उत्पाद विकास मशीनों के रूप में अधिक चुस्त हो जाएगा।
अनुसंधान मानता है कि रोबोट कार्यस्थल पर पूरक कौशल ला सकते हैं। ऑरेकल व फ्यूचर वर्कप्लेस के सर्वेक्षण के अनुसार आधे से अधिक श्रमिकों का कहना है कि वे रोबोट सह-कार्यकर्ता के साथ करने को लेकर काफी उत्साहित हैं।
हालांकि कार्य अध्ययन में एआई के उपयोग पर शोध के उत्तरदाताओं ने कहा कि मानव बॉस अभी भी उनकी भावनाओं को समझने, उनका मार्गदर्शन करने और एक सहायक एवं प्रेरक कार्य वातावरण बनाने में एआई की तुलना में ज्यादा बेहतर हैं।