नेसयमुन नाम का यह पुजारी थीब्स के कर्नाक शहर में एक मंदिर के मुंशी के रूप में काम करता था। उनके पूजा संबंधी रीति-रिवाजों के कारण उनकी आवाज का उतार-चढ़ाव और पिच अन्य लोगों से अलग होती थी। वे ऊंची आवाज में बोलते, जाप करते, और गाते थे। उनकी आवाज़ उनके पुरोहित कर्तव्यों में महत्वपूर्ण होती थी। मृत्यु के बाद नेसयमुन के शरीर को को ममी के रूप में सुरक्षित कर एक ताबूत में रखा गया था जिस पर बनी चित्रलिपी पर उनके बारे में जानकारी अंकित थी। इसे बुक ऑफ द डेड (book of dead) कहते हैं।
हाल में हुए शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन में लीड्स जनरल इन्फर्मरी में सीटी स्कैनर का उपयोग करते हुए नेसयमुन के अच्छी तरह से संरक्षित स्वरतंत्र (वोकल ट्रैक्ट) के सटीक माप लिए। इस स्कैन से, उन्होंने उसके गले की 3डी कॉपी बनाई और उसे लाउडस्पीकर पर लगा दिया। टीम ने आवाज पैदा करने के लिए एक मानव स्वरयंत्र ध्वनिक आउटपुट के माध्यम से वोकल टै्रक्ट में इलेक्ट्रॉनिक संकेत प्रवाहित किया।
इलेक्ट्रॉनिक संकेत से स्वरतंत्र ने ए और ई का एकल स्वर निकाला। यह सिंगल साउंड एक ‘रूफ. ऑफ. कॉन्सेप्ट’ वर्क का प्रतिनिधित्व करता है। रॉयल हॉलवे विश्वविद्यालय के मानव भाषण विशेषज्ञ हार्वर्ड ने बताया कि अन्य स्वरों का उत्पादन करने के लिए वोकल ट्रैक्ट के आकार में परिवर्तन करने की जरुरत होगी। टीम अब इसी पर काम कर रही है। टीम अब इस डिजायन को और अपडेट कर इससे शब्द, गायन यहां तक कि भाषण भी बुलवाना का लक्ष्य रख रहे हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी यह पक्के तौर से नहीं कहा जा सकता कि यह स्वर जो ३डी स्वरतंत्र से निकले हैं वे मिस्र के पुजारियों की भाषा में थे भी या नहीं। वहीं ये इतना छोटा और क्षणिक है कि इसे समझना भी मुश्किल है। लेकिन आने वाले समय में शोध में विस्तार के साथ वैज्ञानिक उस समय के लोगों की भाषा और आवाज को सुनने की उम्मीद कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसी की आवाज से ज्यादा व्यक्तिगत और क्या गुण हो सकता है। आज के मानव की तुलना में नेसयमुन के वोकल ट्रैक्ट छोटे हैं। इस आकार का भी आवाज पर असर हो सकता है।