scriptक्या 3 हजार साल पुरानी मिस्त्र की ये ममी फिर से बोल उठेगी? | A 3,000-year-old Egyptian mummy speaks again, with some tech help | Patrika News
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क्या 3 हजार साल पुरानी मिस्त्र की ये ममी फिर से बोल उठेगी?

तकनीक की मदद से 3 हजार साल पुरानी ममी फिर से बोलेगी। सुनने में यह अजीब लग सकता है लेकिन वैज्ञानिक ऐसा करने जा रहे हैं। दरअसल मिस्र की एक ममी के स्वरतंत्र (लैरेंक्स) के एक मॉडल का उपयोग कर वैज्ञानिकों ने इस मृत पुजारी की वास्तविक आवाज का अनुमान लगाया है। वे ध्वनि का एक बहुत छोटा स्वर बनाने में कामयाब भी हो गए हैं।

Jan 27, 2020 / 08:58 pm

Mohmad Imran

क्या 3 हजार साल पुरानी मिस्त्र की ये ममी फिर से बोल उठेगी?

क्या 3 हजार साल पुरानी मिस्त्र की ये ममी फिर से बोल उठेगी?

जर्नल साइंटिफिक रिपोट्र्स में हाल ही प्रकाशित यह नया अध्ययन किसी विज्ञान कथा या मिस्र की ममियों पर बनीं किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह जरूर दिखाई देता है। लेकिन इसके पीछे एक गंभीर प्रेरणा शामिल है। इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों के अनुसार नेसयमुन नाम के इस पुजारी की आवाज को हजारों सालों के बाद फिर से पैदा (रि-क्रिएट) किया जाएगा। यूके के यॉर्क विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद् जॉन स्कोफील्ड ने कहा कि मिस्र में पुनर्जीवन को सच मानते थे और इस ममी की आवाज के साथ ही मिस्रवासियों के उस विश्वास को सम्मान दिया जा रहा है।
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किसकी है ये ममी
नेसयमुन नाम का यह पुजारी थीब्स के कर्नाक शहर में एक मंदिर के मुंशी के रूप में काम करता था। उनके पूजा संबंधी रीति-रिवाजों के कारण उनकी आवाज का उतार-चढ़ाव और पिच अन्य लोगों से अलग होती थी। वे ऊंची आवाज में बोलते, जाप करते, और गाते थे। उनकी आवाज़ उनके पुरोहित कर्तव्यों में महत्वपूर्ण होती थी। मृत्यु के बाद नेसयमुन के शरीर को को ममी के रूप में सुरक्षित कर एक ताबूत में रखा गया था जिस पर बनी चित्रलिपी पर उनके बारे में जानकारी अंकित थी। इसे बुक ऑफ द डेड (book of dead) कहते हैं।
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सन 1823 से उनकी ममी ब्रिटेन के लीड्स सिटी संग्रहालय में है। यहां उनके शरीर को ताबूत से बाहर निकाला गया और माइक्रोस्कोप, एंडोस्कोप एवं एक्स-रे से ममी की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों, विद्वानों, सर्जनों और रसायन विज्ञानियों ने अपने-अपने नजरिए से जांच की है। 1828 में हुई नेसयमुन की यह ‘बहु-विषयक वैज्ञानिक जांच’ दुनिया में अपनी तरह की पहली थी।

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ऐसे बनाया स्वरतंत्र
हाल में हुए शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन में लीड्स जनरल इन्फर्मरी में सीटी स्कैनर का उपयोग करते हुए नेसयमुन के अच्छी तरह से संरक्षित स्वरतंत्र (वोकल ट्रैक्ट) के सटीक माप लिए। इस स्कैन से, उन्होंने उसके गले की 3डी कॉपी बनाई और उसे लाउडस्पीकर पर लगा दिया। टीम ने आवाज पैदा करने के लिए एक मानव स्वरयंत्र ध्वनिक आउटपुट के माध्यम से वोकल टै्रक्ट में इलेक्ट्रॉनिक संकेत प्रवाहित किया।

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एकल स्वर उभरा
इलेक्ट्रॉनिक संकेत से स्वरतंत्र ने ए और ई का एकल स्वर निकाला। यह सिंगल साउंड एक ‘रूफ. ऑफ. कॉन्सेप्ट’ वर्क का प्रतिनिधित्व करता है। रॉयल हॉलवे विश्वविद्यालय के मानव भाषण विशेषज्ञ हार्वर्ड ने बताया कि अन्य स्वरों का उत्पादन करने के लिए वोकल ट्रैक्ट के आकार में परिवर्तन करने की जरुरत होगी। टीम अब इसी पर काम कर रही है। टीम अब इस डिजायन को और अपडेट कर इससे शब्द, गायन यहां तक कि भाषण भी बुलवाना का लक्ष्य रख रहे हैं।

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शोध से निकलेगी राह
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी यह पक्के तौर से नहीं कहा जा सकता कि यह स्वर जो ३डी स्वरतंत्र से निकले हैं वे मिस्र के पुजारियों की भाषा में थे भी या नहीं। वहीं ये इतना छोटा और क्षणिक है कि इसे समझना भी मुश्किल है। लेकिन आने वाले समय में शोध में विस्तार के साथ वैज्ञानिक उस समय के लोगों की भाषा और आवाज को सुनने की उम्मीद कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसी की आवाज से ज्यादा व्यक्तिगत और क्या गुण हो सकता है। आज के मानव की तुलना में नेसयमुन के वोकल ट्रैक्ट छोटे हैं। इस आकार का भी आवाज पर असर हो सकता है।
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