साबइल की रिपोर्ट के अनुसार, एक हैकर ने यह डेटा लीक किया है और इसे 30 लाख रु में बेचा जा रहा है। साइबल ने ब्लॉग में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि डार्क वेब की नियमित निगरानी के दौरान रिसर्च टीम ने पाया कि बिगबास्केट का डाटाबेस 40,000 डॉलर में बेचा जा रहा है। साथ ही बताया गया है कि लीक किए गए डेटा की एसक्यूएल फाइल का आकार करीब 15 जीबी है। इस फाइल में करीब 2 करोड़ यूजर्स का डेटा है।
साइबल का कहना है कि हैकर ने बिगबास्केट से यूजर्स का जो डेटा चुराया है उसमें नाम, ई-मेल आईडी, पासवर्ड, संपर्क नंबर (मोबाइल फोन और फोन, पता, जन्मतिथि, स्थान और आईपी पता शामिल हैं। बिगबास्केट ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि कुछ दिन पहले हमें संभावित डाटा सेंध की जानकारी मिली है। हम इसका आंकलन करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही कंपनी ने बताया इस बारे में बेंगलुरु के साइबर क्राइम सेल में शिकायत भी की है।
इंटरनेट में तीन प्रकार की दुनिया होती है इनमें सरफेस वेब, डीप वेब और डार्क वेब होती हैं। इन तीनों में से डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का यह सबसे खतरनाक हिस्सा है। एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी मैकअफे का कहना है कि इस इंटरनेट की दुनिया से करीब 3 गुना बड़ा है। हालांकि इसका इस्तेमाल करना गैर कानूनी है, लेकिन यहां ऐसे काम आम हैं। टॉर ब्राउजर यूज करने वाले ही डार्क वेब का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बता दें कि टॉर ब्राउजर को ट्रैक नहीं किया जा सकता। अगर टॉर ब्राउजर के जरिए इंटरनेट पर कोई भी काम करते हैं तो सरकारी एजेंसियां भी उसे ट्रैक नहीं कर सकतीं। इसमें आईपी एड्रेस लगातार बदलती रहता है। डार्क वेब में मानव तस्करी का भी काम होता है।